Valentine’s Week Special Story : 2004 में मेरी उम्र 17 वर्ष थी और पहली बार जब वो मेरे सामने से चल कर क्लास में आयी तो मैं उसे देखता ही रह गया. मेरी नज़र उससे हट ही नहीं रही थी क्योंकि आज तक उस जैसा मैने देखा ही नहीं था शायद इसे ही खूबसूरती कहते हैं। समय बीतता गया हम दोनों में दोस्ती भी हो गयी, बातें भी होने लगी लेकिन जब भी मैं उसे किसी और के साथ देखता था तो मेरा दिल बैठ जाता था और इसी कारण मैने उससे बात करनी बंद कर दी जबकि उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था।
इग्जाम खत्म होने के बाद उसने मेरे स्लेम बुक में ये लिखा की वो मुझसे बात करना चाहती है लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। मैने कॉलेज में दाखिला ले लिया वो बेंगलुरू चली गई लेकिन उस जैसी हसीन लड़की मुझे आज तक मिली ही नहीं।
2007 में मेरे जन्मदिन पर मुझे एक कॉल आई और उस आवाज़ ने सुनिता नाम से खुद का तार्रुफ करवाया। मेरे दिल की धड़कनें बहुत तेजी से चलने लगी जैसे मैं आज भी वही 17 साल का आशिक था, हालंकि ज्यादा देर तक हमारी बात नहीं हुई लेकिन उन दो मिनट में ही मैने सार जहान देख लिया मानो मेरे रूह को छूती हुई अनंतकाल तक मेरे अंदर समा गयी हो. उसके बाद भी कभी कभी हमारी बात हो जाती थी लेकिन जल्द ही हम दोनो अपनी दुनिया में व्यस्त हो गये।
नवंबर 2011 में एक दिन अचानक मेरे पास एक दोस्त की कॉल आयी जो हम दोनो को जानती थी। उन्होंने बताया की सुनीता किसी दुर्घटना की शिकार हो गयी है और आप उनसे मिलना चाहें तो कोयंबटूर के निजी अस्पताल में वो भर्ती हैं। मुझे लगा की कोई मामूली सी बात होगी इसलिए दो दिनों के बाद मैने कॉल की और आवाज से मैं उसे पहचान ही नहीं पाया। जब मैं वहां उससे मिलने गया तो वहां का नजारा देखकर बिल्कुल हतप्रभ रह गया जैसे मेरे पांव तले जमीन खिसक गयी हो। मैने बिना बालों के, एक बिल्कुल ही खराब चेहरा देखा जिसमें नाक, मुंह और दांत का पता नहीं चल रहा था और किसी 90 साल के बूढ़े की तरह वो चल रही थी. मैं बिल्कुल टूट चुका था।
तभी मैने महसूस किया की मैं तो उससे प्यार करता हूं. उसी रात मैने मैसेज करके उसे बताया की इस दुनिया में मुझ से अच्छा तुम्हारा कोई ख्याल नहीं रख सकता है. मैं तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूं और तुमसे शादी करना चाहता हूं। उसने तभी मुझे कॉल की और मैने फोन पर फिर से उसे शादी करने का प्रस्ताव दिया। उसने मेरी बातों पर हंसकर हामी भर दी। शुरुआत में मेरी मां मेरे खिलाफ थीं लेकिन मेरे पापा ने मुझे हौसला दिया और वो दोनो मेरे पास आ गये।
जनवरी 2012 के बाद मैं उसके पास आ गया और देखभाल करने लगा। मैं हर ऑपरेशन में उसके साथ था क्योंकि आईसीयू में मैने उसकी झल्लाहट देखी. हम दोनों एक दुसरे के साथ मिलकर सारी परेशानियां झेलते गये, कई उतार चढ़ाव देखे फिर भी मुस्कुराना नहीं छोड़ा और ऐसे ही जिंदगी का तजुर्बा ले लिया। इसके बाद मेरा खुद का मनोबल और आत्मविश्वास काफी बढ़ गया और मैं बेंगलुरू में ही बस गया।
26 जनवरी 2014 को मैं सुबह 1 बजे ही बेंगलुरू पहुंच गया था और थकान से चूर था। मैने देखा की वो सीढियों पर मेरे लिए तीन गुलाब लेकर खड़ी थी, उसने उसी वक्त मुझे प्रोपोज़ किया और मैने तुरंत ही हमी भर दी, इतना ही नहीं उसी दिन हम दोनों ने सगाई कर ली और जल्दी से शादी की तैयारियों में भी लग गये।
शादी तक तो जैसे परेशानियों का पहाड़ ही टूट पड़ा था क्योंकि पैसों की कमी हो गई थी, जिस दिन मेरी शादी का रिसेप्शन था मैं शार्टस में झाड़ू लगा रहा था। कुछ लोगों ने मुझसे पूछा की शादी करने की जरूरत ही क्या है। कुछ ने तो सुनिता को ये भी कह दिया की शादी के बाद बच्चे न करें क्योंकि उनका चेहरा भी उस जैसा ही हो जाएगा। लोग आज भी उसे किसी बेचारी की तरह देखते हैं और सोचते हैं कि मैने उससे शादी करके बहुत बड़ा काम किया है, लेकिन सच्चाई ये है कि मैने अपने प्यार से शादी की है और मेरी जिंदगी में जो बदलाव आये हैं वो अच्छे के लिए आये हैं. आज हमारे दो बच्चे हैं और सुबह साथ उठने का एहसास बेहतरीन है।
आज मैने अपने बचपन के प्यार से शादी की है। प्यार का मतलब बाहरी सुंदरता नहीं बल्की दो आत्माओं कि मिलन है. बस मैं इतना जानता हं की मैं उससे बेइंतहा मोहब्बत करता हूं जिसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।
लेख स्त्रोत- तर्कसंगत
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