Pakistani Mahadev Temple : काशी के कण-कण में भगवान शिव का वास है। यहां महादेव के कई दिव्य और चमत्कारी मंदिर है, जिनके साथ कोई न कोई पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है। वहीं आज हम आपको काशी में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पाकिस्तानी महादेव (Pakistani Mahadev) के नाम से विख्यात है। यह शिवलिंग अपने आप में आज़ादी के बाद हुए बटवारे की दास्तान संजोये हुए है, जिसकी कहानी बेहद दिलचस्प है। तो चलिए जानते है भगवान शिव के इस मंदिर के बारे में….
Pakistani Mahadev : इसलिए नाम पड़ा पाकिस्तानी महादेव
बंटवारे के दौरान पश्चिम बंगाल से लाए गए इस शिवलिंग का लोगों ने नाम भी पाकिस्तानी महादेव (Pakistani Mahadev) रख दिया। जिसे आज भी इसी नाम से पूजा जाता है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि इस मंदिर की स्थापना के लिए बूंदी स्टेट के अखाड़ा परिषद द्वारा स्थान दिया गया था। जिसे रघुनाथ व मुन्नू महाराज के सहयोग से स्थापित कराया गया। बाद में कई लोगों द्वारा मंदिर की पूजा का दायित्व लिया।
शीतला घाट पर है मंदिर
काशी में पाकिस्तानी महादेव का यह मंदिर शीतला घाट पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए वाराणसी रेलवे स्टेशन से रथयात्रा गोदौलिया मार्ग से होते हुए दशाश्वेध घाट पहुंचना होता है इसी के बगल में शीतला घाट है जहां बाबा विराजते हैं।
जानें मंदिर से जुड़ी कहानी
सन् 1947 में हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बंटवारे के समय देश में हालात कुछ ठीक नहीं थे। पूरा देश दंगों की आग में जल रहा था। इसी दौरान बंगाल में भी दंगा भड़कने से वहां के लोग देश के अन्य हिस्सों में पलायन को मजबूर हो गए। इनमें से एक जानकी बाई बोगड़ा का परिवार भी जो पहले काशी के ही रहने वाले थे। पश्चिम बंगाल से पलायन कर फिर से यहां आ गए। बंगाल में जहां इनका परिवार रहता था, उन्होंने वहीं एक शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसे पलायन के समय काशी ले आए। परिवार के साथ जब ये शीतला घाट किनारे गंगा में शिवलिंग का विसर्जन करने लगे तो वहां के कुछ पुरोहितों ने उन्हें ऐसा करने से रोका और मंदिर की स्थापना कराई।
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