Saturday, May 11, 2024
spot_img
HomeFacts of IndiaBasant Panchami 2024 : इस मंदिर में माता सरस्वती का होता है...

Basant Panchami 2024 : इस मंदिर में माता सरस्वती का होता है नीली स्याही से अभिषेक, बसंत पंचमी पर उमड़ती है विद्यार्थियों की भीड़

spot_img
spot_img

Basant Panchami 2024 : आज पूरे देश में ज्ञान, विद्या और कला की देवी सरस्वती की उपासना का पर्व बसंत पचंमी मनाया जा रहा है। यह पावन पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन पड़ता है। मां सरस्वती को विद्या की देवी माना जाता है। साथ ही इन्हें संगीत की देवी का विशेष दर्जा प्राप्त है। आज इस खास अवसर (Basant Panchami 2024) पर हम आपको मां सरस्वती के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां माता का अभिषेक माला-फूलों, दूध या किसी अन्य पदार्थ से नहीं, बल्कि नीली स्याही से किया जाता है। ऐसा करने के पीछे विशेष मान्यता है, तो चलिए जानते है कि ये मंदिर कहां है और माता का अभिषेक स्याही से क्यों किया जाता है।

Basant Panchami 2024 : यहां स्थित है मंदिर

दरअसल, हम जिस मंदिर की बात कर रहें है वो उज्जैन में स्थित वाग्देवी देवी (Vagdevi Temple Ujjain) का मंदिर है। इस मंदिर में विराजमान मां नील सरस्वती (Neel Saraswati) है, जिन्हें स्याही माता भी कहा जाता है। कहा जाता है य़हां दर्शन और अभिषेक से विद्यार्थी एकाग्रचित होकर पढ़ाई करते हैं और परीक्षा में सफलता प्राप्त करता है। बसंत पंचमी पर यहां मां सरस्वती की जयंती मनाई जाती है। इस दिन यहां विद्यार्थियों की भीड़ उमड़ती है। यहां विद्यार्थी उच्च अंक प्राप्त करने के लिए माता के मंदिर में कामना करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए नीली स्याही से उनका अभिषेक करते है।

यह भी पढ़ें- Maa kali Temple : राजा की चिता पर विराजमान है मां काली, नवविवाहितों के लिए वरदान है ये मंदिर

इस कारण से चढाते हैं स्याही

हिंदू सनातन धर्म के 16 संस्कारों में से एक विद्यारंभ संस्कार को बसंत पंचमी के दिन किया जाता है। संगीत की गुरू-शिष्य परंपरा में भी बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। शास्त्रों में कहीं-कहीं मां सरस्वती को नीलवर्णी भी कहा गया है। भगवान विष्णु से आदेशित होकर नील सरस्वती भगवान ब्रह्ना के साथ सृष्टिके ज्ञान कल्प को बढ़ाने का दायित्व संभाले हुए हैं। इसका जिक्र भी श्रीमद देवी भागवत में मिलता है। मान्यता है कि इस मंदिर में माता सरस्वती को नीली स्याही चढ़ाने से ज्ञान की देवी सरस्वती प्रसन्न होती हैं।

यह भी पढ़ें-भारत का एक ऐसा चमत्कारिक मंदिर, जहां देवी की मूर्ति दिन में तीन बार बदलती है अपना स्वरूप

एक हजार साल पुरानी है यह मूर्ति

कहा जाता है कि माता की यह मूर्ति एक हजार साल पुरानी है और अपने आप में अनूठी है। पहले लोग माता सरस्वती के पूजन में नील कमल और अष्टर के नीले फूलों का उपयोग करते थे। इन फूलों के अर्क से देवी का अभिषेक किया जाता था, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव किया गया और फूलों के अर्क का स्थान नीली स्याही ने ले लिया।

देश-विदेश की ताजा खबरें पढ़ने और अपडेट रहने के लिए आप हमें Facebook Instagram Twitter YouTube पर फॉलो व सब्सक्राइब करें

Join Our WhatsApp Group For Latest & Trending News & Interesting Facts

spot_img
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

spot_img

Recent Comments

Ankita Yadav on Kavya Rang : गजल