Tuesday, December 3, 2024
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Holi 2024 : कहीं आग से, तो कहीं एक दूसरे पर पत्थर बरसाकर, भारत के इन जगहों पर बड़े ही अजीबो गरीब तरीके से खेली जाती है होली

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Unique Holi Celebration : देशभर में होली अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है। कहीं फूलों से होली खेली जाती है तो कहीं लट्ठ बरसाए जाते हैं, लेकिन आज हम आपको देश के कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताएंगे जहां होली (Holi 2024) बड़े ही अनोखे अंदाज में मनाई जाती है जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे। तो फिर चलिए जानते है…

इन जगहों पर अनोखे तरीके से होती है होली

आग से होली खेलने का चलन

कर्नाटक में बड़े ही अजीबों-गरीब तरीके होली (Holi 2024) मनती है, यहां के कई इलाकों में और मध्यप्रदेश के मालवा में होली के द‍िन एक-दूसरे पर जलते अंगारे फेंकने का चलन है। इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से होल‍िका राक्षसी मर जाती है।

आग के अंगारों से होली खेलते लोग

होलिका दहन की राख पर चलने के परंपरा

राजस्थान के बांसवाड़ा में भी बड़े ही अलग तरीके से होली मनाई जाती है। यहां आदिवासियों के बीच खेली जाने वाली होली में गुलाल के साथ होल‍िका दहन की राख पर भी चलने की परंपरा है। यहां के लोग होलिका दहन के अगले दिन होलिका की राख के अंदर दबी हुई आग पर चलते हैं और एक दूसरे पर पत्‍थर फेंककर खूनी होली खेलते हैं।

यहां टोलियों में बटे हुए लोग कुछ दूरी पर खड़ हो जाते हैं और एक दूसरे पर पत्‍थर फेंकते हैं। ऐसी मान्यता है कि पत्‍थरों से चोट लगने और खून बहने का मतलब है आने वाला साल अच्छा होगा।

होली पर जीवनसाथी ढूंढते है

होली के दिन मध्यप्रदेश के भील आद‍िवास‍ियों में जीवनसाथी से मिलने की परंपरा है। होली के दिन यहां पर एक बाजार लगाया जाता है, जहां लड़के और लड़कियां अपने लिए लाइफ पार्टनर तलाशने के लिए आते हैं। इसके बाद यहां पर आद‍िवासी लड़के वाद्ययंत्र बजाकर डांस करते है और इस दौरान अपनी मनपसंद लड़की को गुलाल लगा देते हैं। यह प्रथा आजाद ख्यालों से जुड़ी होने के साथ काफी मजेदार भी है।

बता दें कि अगर लड़की को वो लड़का भी पसंद आ जाता है, तो लड़की भी उस लड़के को गुलाल लगाती है फिर दोनों की रजामंदी के बाद लड़का-लड़की को भगाकर ले जाता है और शादी करता है।

दूसरपुर गांव में नहीं मनाई जाती होली

हरियाणा के कैथल ज‍िले के दूसरपुर गांव में वर्षों से होली नहीं मनाई जाती है। इसके पीछे एक बाबा का श्राप है। गांव के लोगों के अनुसार वर्षों पहले बाबा श्रीराम स्नेही दास ने एक गांव वाले की बातों से नाराज होकर होलिका दहन में कूदकर जान दे दी थी। होलिका की आग में जल रहे बाबा ने गांव को श्राप द‍िया कि अब यहां कभी भी होली मनाई गई तो अपशगुन होगा। इस डर से भयभीत गांव के लोगों ने सालों बीत जाने के बाद भी कभी होली नहीं मनाई।

एक दूसरे पर बिच्छु फेंकते है लोग

उत्तर प्रदेश के इटावा के ताखा क्षेत्र के सौंथना गांव में बिच्छूओं वाली यह होली खेली जाती है। यहां होली वाले दिन जब ढोल और फाग की थाप पर लोग थिरकते हैं, तो उन थाप पर ही सैंकड़ों की संख्या में जहरीले बिच्छू जमीन से बाहर निकल आते हैं, जैसे ही बिच्छू अपनी बिल से बाहर निकलते हैं बच्चे से लेकर बुढों तक इन्हें अपने हाथों में उठाकर एक-दूसरे पर फेंकने लगते हैं। सबसे खास बात ये बिच्छू लोगों को नहीं काटते। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि वे होली की शुभकामनाएं देने आते हैं। बताया जाता है कि सैंथना गांव में बिच्छूओं की होली खेलने की यह परंपरा सैंकड़ों साल पुरानी है।

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