Sunday, November 10, 2024
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Varanasi : रामनगर किले में दक्षिणमुखी काले हनुमान के दर्शन को उमड़ रहा भक्तों का सैलाब, साल में एक दिन खुलते हैं पट

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वाराणसी। पूरी दुनिया में हनुमान जी को सिन्दूर का लेपन किया जाता है और उनका वर्ण सिन्दूरी है पर धर्म की नगरी काशी में रामनगर किले (Ramnagar Fort) के अंदर दक्षिणमुखी हनुमान जी की प्रतिमा मौजूद है जो श्यामवर्ण (काले रंग) की है। परम्पराओं के अनुसार साल में सिर्फ एक दिन वाराणसी की विश्व प्रसिद्द रामनगर की रामलीला की राज्याभिषेक की झांकी के बाद ही इस मंदिर के पट खोले जाते है। इसी क्रम में शुक्रवार को इस मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की लाइन लगी है। सभी राम भक्त हनुमान के दरबार में शीश नवाने के लिए आतुर हैं।

त्रेता युग की है प्रतिमा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रामनगर किले की खुदाई में ही दक्षिणमुखी हनुमान की भव्य प्रतिमा मिली थी जिसे काशीराज परिवार ने दक्षिणी छोर में मंदिर बना कर प्रतिमा को स्थापित किया था। बताया जाता है कि यह प्रतिमा त्रेता युग की है। राज परिवार के अनुसार यह मूर्ति किले में कहां से आई किसी को नहीं पता, रामभक्त हनुमान ने महाराजा बनारस को स्वप्न में आकर इसकी जगह बताई थी और उसी स्थान पर इसकी स्थापना की गई है।

राजगद्दी के दिन होता है दर्शन

रामनगर की रामलीला के अंतिम दिन जिस दिन राजगद्दी का मंचन भोर में महताबी की रौशनी में होता है उसी दिन इस मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं और सूरज ढलने से पहले बंद कर दिया जाता है। वाराणसी ही नहीं पूरे देश से लोग काले हनुमान जी की इस नायाब प्रतिमा का दर्शन करने आते हैं जिसके रोए हैं।

इसलिए पड़ा था हमुनान जी का रंग काला

विद्वानों के अनुसार जब प्रभु श्रीराम लंका पर विजय पाने के लिए निकले थे और रामेश्वरम में समुद्र के किनारे पहुंचे थे। प्रभु ने समुद्र से रास्ता मांगा था लेकिन समुद्र ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था इससे कुपित होकर प्रभु श्रीराम ने अपना धनुष निकाल कर उस पर बाण चढ़ा ली थी और समुद्र को सुखा देने के लिए बाण छोडऩा चाहते थे। इससे डर कर समुद्र खुद प्रकट हुआ और प्रभु से माफी मांगी।

प्रभु श्रीराम ने समुद्र को माफ तो कर दिया था लेकिन धनुष पर चढ़ाये गये बाण का वापस नहीं ले सकते थे इसलिए उन्होंने बाण को पश्चिम दिशा में छोड़ दिया था। प्रभु श्रीराम का बाण इतना शक्तिशाली था कि उसके टकराने से धरती हिल सकती थी इसलिए जहां पर धरती को बचाने के लिए हनुमानजी घुटने के बल बैठ गये थे और बाण जब धरती से टकराया तो उसके तेज से प्रभु का रंग काला पड़ गया था।

कहा जाता है कि दुनिया में प्रभु हनुमान की ऐसी अलौकिक मूर्ति और कही नहीं है। धार्मिक मान्यता है कि रामनगर में राज्याभिषेक के समय खुद प्रभु श्रीराम आते हैं इसलिए मंदिर का पट भी इसी दिन खुलता है और साल भर बंद रहता है।

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