Monday, May 20, 2024
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Sudha Chandran Life Story : लाखों लोगों की आदर्श व प्रेरणास्रोत है अभिनेत्री सुधा चंद्रन, जानिए इनके संघर्ष भरे जीवन से लेकर सफलता की कहानी

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रिपोर्ट- अंकिता यादव

Sudha Chandran Life Story : आज गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर शिष्य अपने गुरुजनों की वंदना कर रहें है। उनके आशीर्वाद प्राप्त कर उनके चरणों में शीष नवा रहें। आज इस गुरु-शिष्य के इस खास पर्व पर हम आपको लाखों लोगों की प्रेरणास्रोत हैं मशहूर अभिनेत्री व नृत्यंगाना सुधा चंद्रन (sudha chandran) की की सफलता और संघर्षों की कहानी के कुछ पहलुओं से रुबरु कराते हैं। बताते हैं कि किस तरह उन्होंने जिंदगी के एक बुरे दौर को झेलते हुए अपने हौसलों के दम पर उड़ान भरी और आज लाखों लोगों की प्रेरणा बनकर उनके दिलों में अपनी एक खूबसूरत सी जगह बना ली है। तो चलिए जानते हैं सुधा चंद्रन जी से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

वैसे तो दुनिया में ऐसे बहुत से सफलतम लोग हैं जिनका बचपन बेहद कठिनाइयों में बीता, लेकिन अपनी क़ाबलियत और मेहनत के दम पर उन्होंने सफलता की नई ऊँचाइयों को छुआ। उन्हीं में से एक है सुधा चंद्रन जी, जिन्होंने बेहद संघर्ष के बाद दुनिया के सामने एक सफल और बेहतरीन उदाहरण बन कर उभरी आज लाखों लोग उनके प्रशंसक है और उनको अपना आर्दश व गुरु मानते है।।

सिर्फ नृत्य बल्कि अपनी अभिनय की कला से भी दर्शकों के दिलों में विशेष जगह बनाने वाली टीवी सीरियल Kaahin Kissii Roz की Ramola Sikand और Naagin की Yamini Singh Raheja जैसे किरदारों ने सुधा चंद्रन को दर्शकों में लोकप्रिय बना दिया। 16 साल की सुधा जब बचपन में नृत्य करती थी तो लोग उनकी प्रशंसा करते नहीं थकते थे। लेकिन अचानक इस नन्ही सी लड़की के जीवन में ऐसी घटना घटती हैं जिसनें उसके पूरे जीवन को ही पलट कर रख दिया।

सुधा चंद्रन जन्म व शिक्षा (Sudha Chandran Life Story)

मशहूर अभिनेत्री सुधा चंद्रन (sudha chandran) का जन्म 21 सितम्बर 1964 को भारत के केरल राज्य के एक सामान्य परिवार में हुआ। इनके माता-पिता बेहद सामान्य परिवार के होते हुए भी मुंबई में इन्हें उच्च शिक्षा दिलाई। बचपन में ही सुधाजी की नृत्य के प्रति रुचि पैदा हो गयी थी, और यही वजह हैं कि उन्होंने मात्र 3 वर्ष की आयु से ही भारतीय शास्त्रीय नृत्य का अभ्यास करना शुरू कर दिया था। वे स्कूल में पढ़ाई के बाद नृत्य का अभ्यास करती थी, सुधाजी ने 16 वर्ष तक आयु में 75 से अधिक स्टेज शो पूरे कर लिए लिए थे। उनकी पहचान भारतनाट्यम की एक अच्छी कलाकार के रूप में होने लगी थी। सुधाजी नृत्य के क्षेत्र में अनेकों पुरस्कारों से भी सम्मानित हो चुकी हैं।

सुधा चंद्रनजी (sudha chandran) अपने माता-पिता के साथ तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली स्थित मन्दिर से लौट रही थी, तभी उनकी बस अचानक सामने आ रहे ट्रक से टकरा गयी। इस दुर्घटना में बहुत से लोग घायल हुए जिसमें सुधाजी भी शामिल थी। अस्पताल में डॉक्टरों ने सुधाजी के माता-पिता को बताया कि इनके एक पैर की हड्डी टूट गयी हैं और इनके पैर में गैंग्रीन जो एक प्रकार का संक्रमण होता हैं, वो हो चुका हैं। अगर समय रहते इनका पैर नहीं काटा गया तो सुधाजी की जान भी जा सकती हैं। परिस्थितियों के आगे माता-पिता ने डॉक्टरों को पैर काटने की अनुमति दे दी।

जीनव का सबसे बुरा दौर और आंखों में डांसर बनने का सपना

यह दौर suda chandran के जीवन का सबसे ख़राब दौर था, जो लड़की नृत्य करते नहीं थकती थी अपना सारा जीवन ही जिसे समर्पित कर दिया हो, जिसको लेकर इतने सारे सपने देखे हो। अब ऐसी स्थितियों में सुधाजी को यह सब चूर-चूर होते दिख रहे थे। पूरे दिन बिस्तर पर पड़े पड़े अपनी किस्मत को कोसते रहती थी, दिन-रात डांसर बनने का सपना देखने वाली सुधा अब अपनी हालातों के आगे बेबस थी।

प्रण लिया माता-पिता को गौरवान्वित कराने का

ऐसी हालातों में सुधाजी ने प्रण ले लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाये लेकिन जीवन में कुछ ऐसा करना हैं कि जिस पर माता-पिता को मुझे अपनी बेटी कहने पर गर्व महसूस हो। सुधाजी ने नृत्य को फिर से अपनाने का फैसला किया। अस्पताल में ही लेटे-लेटे सुधाजी ने अख़बार में एक विज्ञापन देखा जिसमें “चमत्कारपूर्ण पैर” (Miraculous foot) के बारे में लिखा था। डॉ. सेठी जो दुनिया में सबसे सस्ता कृत्रिम पैर बनाने के लिए लोकप्रिय हैं। इसके साथ ही डॉ सेठी ने इस क्षेत्र में Megsaysay Award भी प्राप्त किया हैं।

सुधा चंद्रन जी ने जयपुर फूट के डॉ. सेठी से मिलने के लिए उन्हें पत्र लिखा और सौभाग्य की बात यह कि डॉ सेठी उनसे मिलने के लिए तैयार हो गये। जब पहली बार सुधाजी डॉ. सेठी से मिली तो पहला सवाल यही किया कि डॉ. क्या वे “जयपुर फूट” की मदद से पहले की तरह दुबारा चल पाएंगी? क्या वो फिर से पहले की तरह नृत्य कर पाएंगी? इस पर डॉ. सेठी ने यही कहा कि यह सब आप पर निर्भर करता हैं आपकी इच्छा शक्ति पर निर्भर करता हैं। अगर आप पूरी इच्छा शक्ति से यह चाहती हैं ऐसा संभव हैं। सुधाजी के पैर का ऑपरेशन हुआ और उनको कृत्रिम पर लगा दिया गया।

कठिन अभ्यास और मेहनत से अच्छा नृत्य करने में हुई सक्षम

धीरे-धीरे समय के साथ सुधाजी का हौसला बढ़ने लगा, अपने दुखद अतीत को भुलाकर सुधाजी अपने स्वर्णिम भविष्य के सच करने पर ध्यान देने लगी। वे नकली पैर की मदद से प्रतिदिन नृत्य का अभ्यास करने लगी इस दौरान उन्हें बहुत दर्द भी होता था और कभी-कभी उनके पैर से खून भी निकलने लगता था, बावजूद इन सबके उन्होंने अभ्यास करना नहीं छोड़ा। बेहद कठिन अभ्यास और मेहनत के चलते सुधाजी अच्छा नृत्य करने में सक्षम हो गयी, अब समय सही मौका मिलने का और दुनिया के सामने अपनी योग्यता को सिद्ध करने का। सुधाजी इसके लिए सही मौके के इंतज़ार में थी।

सुधा जी के ऑपरेशन के बाद उनका पहला मौका

लम्बे इंतज़ार के बाद आखिर वो दिन आ ही गया जब सुधाजी को दुर्घटना के बाद पहले कार्यक्रम के लिए आमन्त्रित किया गया। यह मौका था “सेंट जेवियर्स कॉलेज” में परफॉर्मेंस देने का, और उस दिन के अखबर की हैडलाइन थी “Looses a Foot, Walks a Mile” इस तरह की हेडलाइन ने सुधाजी के हौसले को और भी बढ़ा दिया। पूरा शो लोगों की भीड़ से से खचाखच भरा हुआ था, इतने लम्बे समय बाद शो में परफॉर्म करना सुधाजी के लिए यह पहला मौका था इसलिए वे थोड़ी नर्वस भी थी लेकिन वे किसी भी हालत में ये मौका गंवाना नहीं चाहती थी।

जब सुधाजी ने पहली बार नकली पैर के साथ नृत्य किया तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा, यह बहुत से लोगों के लिए प्रेरणादायी था। सुधाजी का हौसला और जूनून का हर कोई कायल था, अपनी पहली परफॉर्मेंस में सुधाजी के चाहने वालों की संख्या कई गुना बढ़ गयी। धीरे-धीरे सुधा चंद्रनजी की लोकप्रियता बढ़ने लगी, उनके पिता ने सुधाजी के पैर छुते हुए कहा कि वे माता सरस्वती के चरणों में वंदना कर रहे हैं। क्योंकि उनकी बेटी ने असंभव कार्य को संभव कर दिखाया हैं। सुधाजी रातोंरात एक लोकप्रिय स्टार बन गयी।

तेलुगु फिल्म “मयूरी के लिए मिला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार

सुधाजी की लोकप्रियता बढ़ने के कारण उनके संघर्ष और सफलता की कहानियां अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगी। इसी दौरान लोकप्रिय फिल्म निर्माता रामोजी राव की नज़र भी इनके संघर्ष पर पड़ी। रामोजी राव ने सुधाजी के जीवन से प्रेरित होकर उन पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया। 1984 में तेलुगु में सुधाजी के जीवन पर आधारित फिल्म “मयूरी” बनी, जिसमें मुख्य पात्र का रोल स्वयं सुधाजी ने निभाया था। इस फिल्म को दर्शकों ने ढेर सारा प्यार दिया। इस फिल्म में सुधाजी के नृत्य को भी दर्शकों ने खूब सराहा। तेलुगु फिल्म “मयूरी” का बाद में हिंदी वर्जन भी आया जो “नाचे मयूरी” नाम से आई। सुधाजी के जीवन पर आधारित इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

इसके बाद सुधाजी को कई अन्य फिल्मों व टीवी सीरियल में भी काम किया। वर्तमान में भी कई ऐसे टीवी सीरियल हैं जिनमें सुधाजी काम कर रही हैं और लोगों के बीच लोकप्रिय है।

वहीं सुधा जी को अपना आदर्श मानने वाली काशी विरासत की फाउंडर बनारस निवासी की शिवानी खन्ना का कहना है कि उन्हें सुधा जी से अपने जीवन में आए बड़े-बड़े संघर्षों से बाहर निकलने और अपनी मंजिल पाने की प्रेरणा मिली। सुधा जी को अपना आदर्श मानकर और उनसे ओतप्रोत होकर शिवानी आज अपने फाउंडेशन के माध्यम से लोगों को देश के गौरवशाली सांस्कृतिक नृत्य-संगीत का प्रचार-प्रसार कर रही हैं।

न्यूज सोर्स- शिवानी खन्ना

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