PM Modi Varanasi Visit : प्रधानमंत्री मोदी आज अपने दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी में (PM Modi Varanasi Visit) हैं। दौरे के दूसरे दिन पीएम बीएचयू स्वतंत्रता भवन पहुंचे है, यहां उन्होंने सांसद संस्कृति प्रतियोगिता समेत कई प्रतियोगिता के विजताओं को और संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया। साथ ही सभी प्रतियोगियों, उनके गुरुजनों और अभिभावकों सभी को बधाई दी। इस दौरान उन्होंने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि, नई काशी नए भारत की प्रेरणा बनकर उभरी है। मैं आशा करता हूं कि यहां से निकले युवा पूरे विश्व में भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति के ध्वजवाहक बनेंगे।
काशी तो संवरने वाला है- PM
पीएम ने आगे कहा, काशी तो सर्वविद्या की राजधानी है, आज काशी का वो सामर्थ्य और स्वरूप फिर से संवर रहा है। ये पूरे भारत के लिए गौरव की बात है। उन्होंने आगे कहा, काशी तो संवरने वाला है… रोड़ भी बनेंगे, ब्रिज भी बनेंगे, भवन भी बनेंगे लेकिन मुझे तो यहां जन जन को संवारना है, हर मन को संवारना है और एक सेवक बनकर संवारना है, साथी बनकर संवारना है।
देश सफलताओं के नए प्रतिमान गढ़ेगा-PM
पीएम ने कहा, अगले पांच वर्षों में देश इसी आत्मविश्वास से विकास को नई रफ्तार देगा, देश सफलताओं के नए प्रतिमान गढ़ेगा और ये मोदी की गारंटी है। पिछले 10 वर्षों में काशी में विकास के जो कार्य हुए हैं। काशी के बारे में संपूर्ण जानकारी पर आज यहां दो बुक भी लांच की गई है। पिछले 10 वर्ष में काशी ने विकास की जो यात्रा तय की है, उसके हर पड़ाव और यहां की संस्कृति का वर्णन इस बुक में भी किया गया है।
हम सब निमित्त मात्र हैं, काशी में करने वाले महादेव हैं- PM
उन्होंने आगे कहा, हम सब तो निमित्त मात्र हैं, काशी में करने वाले तो महादेव हैं। जहां महादेव की कृपा हो जाती है, वह धरती ऐसे ही संपन्न हो जाती है। हमारे ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है, संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख है।
भारत विविधता में एकता की भूमि है
पीएम ने कहा, भारत एक विचार है, संस्कृत उसकी प्रमुख अभिव्यक्ति है। भारत एक यात्रा है, संस्कृत उसके इतिहास का प्रमुख अध्याय है। भारत विविधता में एकता की भूमि है, संस्कृत उसका उद्गम है।
विश्वनाथ धाम जैसे हमारे मंदिर ही राष्ट्र की प्रगति की यज्ञशाला
पीएम ने आगे कहा, काशी जैसे हमारे तीर्थ और विश्वनाथ धाम जैसे हमारे मंदिर ही राष्ट्र की प्रगति की यज्ञशाला हुआ करती थीं। यहां साधना भी होती थी और शास्त्रार्थ भी होते थे। यहां संवाद भी होते थे और शोध भी होते थे। यहां संस्कृति के स्रोत भी थे और साहित्य संगीत की सरिताएं भी थीं।
ज्ञान, शोध और शांति की तलाश में लोग काशी आते हैं
पीएम ने कहा, काशी शिव की भी नगरी है, ये बुद्ध के उपदेशों की भी भूमि है। काशी जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली भी है और आदि शंकराचार्य को भी यहाँ से बोध मिला था। पूरे देश से और दुनिया के कोने-कोने से भी ज्ञान, शोध और शांति की तलाश में लोग काशी आते हैं। हर प्रांत, हर भाषा, हर बोली, हर रिवाज के लोग काशी आकर बसे हैं। जिस स्थान पर ऐसी विविधता होती है, वहीं नए विचारों का जन्म होता है।
काशी तमिल संगमम और गंगा पुष्करालु महोत्सव जैसे एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियानों का भी विश्वनाथ धाम हिस्सा बना है।
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