हमारे जीवन की गणना मां से शुरू हुई
और जब उल्टी गिनती गिननी हो
तब भी मां ही याद आती है।
मां हर जगह है
हर हार में, हर फतेह में।।
मां से अधिक सक्षम,
मां जितना सुंदर कोई नहीं।।
मां से अधिक ऊंचा,
मां जितना अंदर कोई नहीं।।
मेरे भीतर जितनी मां है, उतना अच्छा हूं मैं,
यदि सौ साल भी जिऊं फिर भी बच्चा हूं मैं।।
जो भी हूं बस मां से ही हूं
मां का ही हिस्सा हूं।।
By- पुखराज तेली
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