PFI Ban : वैसे तो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) हमेशा किसी न किसी कारण से सुर्खियों में बनी रहती है, लेकिन पिछले कुछ हफ्तों से लगातार इसकी चर्चा हो रही है। वहीं केंद्र सरकार ने PFI के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए बुधवार को पांच साल के लिए इसपर पूरी तरह बैन लगा दिया है। संगठन पर बैन के बाद सियासी गिलियारे में इसे लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं समाने आ रही है। आइए विस्तार से जानते है कि आखिर PFI को लेकर क्यों इतना हंगमा मचा हुआ है और इस बैन का क्या कारण है व इसका क्या असर होगा।
जाने PFI क्या है
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) PFI खुद को अल्पसंख्यकों, दलितों के हक के लिए लड़ने वाला एक संगठन होने का दवा करता है। यह 16 साल पुराना संगठन है, जो साल 2007 में दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठन को मिलाकर बना है। जिनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसारी के नाम शामिल है। ओएमए सलाम इसके अध्यक्ष हैं। इसका मुख्यालय पहले कोझिकोड में था, इसके बाद इसे दिल्ली शिफ्ट कर दिया गया।
PFI पर बैन का कारण
बता दें कि सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई को गैरकानूनी संस्था घोषित करते हुए पांच साल का बैन लगाया है। इसके ऊपर भारत विरोधी एजेंडा चलाने का भी आरोप भी लग चुका है, जिसके सबूत भी जांच एजेंसियों को मिले हैं। आइए पीएफआई के बैन होने के इन बड़े कारणों के बारे में विस्तार से जानते है…
आतंकी घटनाओं में शामिल होना
पीएपफए के बैन होने का सबसे बड़ा और प्रमुख कारण हिंसा और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में इस संगठन के संलिप्त होना। बता दें कि उत्तर से दक्षिण भारत तक जब भी कोई बड़ी घटना हुई है तो सबसे पहले पीएफआई का नाम सामने आता रहा है। जैसे दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के दौरान शाहीनबाग हिंसा, जहांगीरपुरी हिंसा से लेकर यूपी में कानपुर हिंसा, कर्नाटक में भाजपा नेता की हत्या, समेत देशभर में कई ऐसे हिंसा और हत्या के मामले हुए जिसमें पीएफआई संगठन का नाम आ चुका है।
देश के संविधान को नहीं मानना
वहीं पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को बैन किए जाने का दूसरा प्रमुख कारण कि देश के संविधान (Constitution Of India) को नहीं मानना भी है। केंद्र सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिसूचना में कहा, “पीएफआई और उसके सहयोगी मोर्चे देश में आतंक का शासन बनाने के इरादे से हिंसक आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, जिससे राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा है।
आपराधिक कृत्य में संलिप्त होना
गृह मंत्रालय के अनुसार पीएफआई और इसके संगठन हिंसक कार्यों में संलिप्त रहे हैं, जिनमें कॉलेज प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों का पालन करने वाले लोगों की निर्मम हत्या करना, बम धमाके की साजिश रचना और सावर्जनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शामिल है। PFI के कार्यकर्ताओं पर अलकायदा और तालिबान जैसे आतंकी संगठनों से लिंक होने के आरोप भी लगते रहे हैं। साल 2010 में इस संगठन SIMI से कनेक्शन के आरोप लगे थे।
IED बनाने के दस्तावेज का मिलना
बता दें कि एनआईए ने पीएफआई के कई ठिकानों पर लगातार छापेमारी की है। इस दौरान जांच एजेंसियों को कई चौंकाने वाली चीजें बरामद हुईं है। जिसमें तमिलनाडु के रामनाड जिले में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के जिलाध्यक्ष बराकतुल्ला के आवास से दो लॉवरेंस एलएचआर-80 बरामद किए गए। इसके अलावा एजेंसियों को IED बनाने के दस्तावेज मिले हैं। इनमे आईईडी कैसे बनाई जाए उसके शॉर्ट कोर्स हैं।
आतंकी संगठनों के संपर्क होना
जारी अधिसूचना में बताया गया कि पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य प्रतिबंधित संगठन SIMI के नेता हैं। इसमें बताया गया कि पीएफआई के जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश से भी इसके तार जुड़े हुए हैं। इतना ही नहीं अधिसूचना में ये भी कहा गया कि पीएफआई के आईएसआईएस (ISIS) जैसे आतंकी समूहों से भी संबंध मिले है।
बड़ी मात्रा में कैश बरामद होना
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बीते रविवार को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कई जिलों में आतंकी फंडिंग और संबंधित गतिविधियों के सिलसिले में कई जगहों पर छापेमारी की। केंद्रीय एजेंसी ने डिजिटल गैजेट्स, दस्तावेज, दो खंजर और 8,31,500 रुपये बरामद किए। इसके अलावा यहां से पीएफआई से जुड़े चार लोगों को भी गिरफ्तार किया गया।
कई संगीन वस्तुओं का बरामद होना
महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने पांच लोगों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया था, जिसने संगीन और आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद हुईं थी। एटीएस के दावे के अनुसार, आरोपियों के पास से जब्त किए गए ‘इंडिया 2047’ नामक एक दस्तावेज में 2047 तक इस्लामी कानूनों द्वारा देश पर शासन करने के बड़े लक्ष्य की दिशा में काम करने की बात कही गई है।
क्या होगा इस बैन का असर
इस संगठन के बैन होने का क्या असर होगा कि पीएफआई अब पांच सालों तक एक्टिव नहीं हो सकेगी न ही वह किसी प्रकार का कोई कार्यक्रम आयोजित कर सकती है, न तो ये किसी से फंड ले सकती है। देखा जाए तो पीएफआई अब किसी भी तरह की एक्टिविटी में सक्रिय नहीं हो सकता है और इससे उसके टेरर लिंक कमजोर पड़ जाएंगे। इससे हिंसात्मक घटनाओं पर लगाम लगी रहेगी।