Tuesday, May 21, 2024
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क्‍या है Genome Sequencing? जानिए इस नए वैरिएंट BF.7 के खिलाफ है कितना मददगार?

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Genome Sequencing : चीन, जापान और लैटिन अमेरिका समेत दुनियाभर में कई देशों में कोरोना का प्रकोप एकबार फिर से बढ़ता जा रहा है। इसके खतरे को देखते हुए भारत सरकार भी अलर्ट हो गई है। भारत में लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है। साथ ही कोविड प्रोटोकॉल (Covid Protocol) फॉलो कर मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की जा रही है। वहीं दूसरी ओर नए वैरिएंट BF.7 को लेकर मचे हाहाकार के बीच जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) की चर्चा तेजी से सुनाई दे रही है। लेकिन क्या आप जानते है कि ये जीनोम सिक्वेंसिंग क्या है कैसे ये कोराना वायरस वायरस के खिलाफ मददगार है। तो आइए जानते है…

जानें क्‍या है जीनोम सीक्वेंसिंग

जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए वायरस से जुड़ी सारी जानकारियां, जैसे- उसके वेरिएंट, सब वेरिएंट और उनकी प्रकृति के बारे में पता किया जा सकता है। इसकी मदद से किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीनोम के बारे में जानकारी हासिल की जाती है। साथ ही ये पता चल पाता है कि लोग वायरस के किस वैरिएंट से संक्रमित हो रहे हैं। बता दें कि जीनोम सीक्वेंसिंग की मदद से ही पहली बार कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के बारे में जानकारी मिली थी।

जिस तरह हम कई नई चीजें सीखते हैं और उन्‍हें आजमाते हैं। वायरस भी इसी फॉर्मूले पर काम करता और समय-समय पर अपनी संरचना में बदलाव करते रहता हैं जिससे खुद को लंबे समय तक प्रभावी बनाकर रख सकें। एक तरह से ये उनकी सर्वाइवल प्रक्रिया का हिस्‍सा है। इसी को म्‍यूटेशन कहा जाता है। म्‍यूटेशन के दौरान कई बार वायरस कमजोर भी पड़ जाता है और कई बार बहुत ज्‍यादा मजबूत होकर सामने आता है। कई बार तो म्‍यूटेशन के बाद वायरस इतना खतरनाक हो जाता है कि मौजूदा दवाएं और वैक्‍सीन भी प्रभावी नहीं होती। इस स्थिति में वायरस से प्रभावित मरीज जल्‍दी ही गंभीर स्थिति में पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में जीनोम सीक्वेंसिंग काम आती है। इसके जरिए वायरस की ताकत का अंदाजा लगता है और उसके हिसाब से दवाओं, वैक्‍सीन आदि के फॉर्मूले में बदलाव किया जाता है या नए सिरे से उस वायरस को मारने के लिए दवाएं और वैक्‍सीन बनाई जाती हैं।

कैसे होती है जीनोम सीक्वेंसिंग

संक्रमित लोगों का सैंपल लेकर जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए लैब में भेजा जाता है। लैब में बेहद ताकतवर कंप्यूटर के जरिए वायरस की आनुवंशिक संरचना का पता लगाया जाता हैं। इससे उसका जेनेटिक कोड निकल आता है और वैज्ञानिकों को ये समझने में मदद मिलती है कि वायरस में म्यूटेशन कहां पर हुआ है।

बता दें कि कोरोना के बढ़ते खतरे के चलते एयरपोर्ट पर सावधानी बरती जा रही है। यात्रियों के सैंपल लिए जा रहे हैं और पॉजिटिव आने पर उनके सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से भी राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि जीनोम सिक्वेंसिंग पर अधिक जोर दें। पीएम मोदी ने भी गुरुवार को हुई समीक्षा बैठक में कहा कि अलर्ट रहें। जीनोम सीक्वेंसिंग और टेस्टिंग बढ़ाएं। मजबूत निगरानी करने की जरूरत है। उन्होंने प्रदेश की सरकारों को देश में केस बढ़ने के साथ हॉस्पिटल्स के इंफ्रास्ट्रक्चर की ऑपरेशनल तत्परता सुनिश्चित करने की सलाह भी दी है।

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