केरल में मंकीपॉक्स रोग का एक संदिग्ध मामला सामने आया है, जिससे स्वास्थ्य महकमें में हड़कप मच गई। बता दें कि, यूएई से लौटे शख्स में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखे हैं। वहीं राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को बताया कि यह व्यक्ति तीन दिन पहले संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से लौटा है। यहां आने पर उसकी तबीयत खराब हो गई जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। सैंपल की पुष्टि अगर हो जाती है तो यह भारत में मंकीपॉक्स का पहला केस होगा।
सैंपल जांच के लिए भेजा गया
स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि इस यात्री से सैंपल लेकर उसे जांच के लिए पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान भेजा गया है। मंत्री ने कहा कि एक बार टेस्ट का रिजल्ट आ जाने के बाद ही इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्स जानवर से मनुष्यों में आने वाला वायरल रोग है। इसके लक्षण स्मालपॉक्स जैसे होते हैं लेकिन इसे कम घातक माना जा रहा है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वायरस से संक्रमित वस्तुओं, जानवरों एवं मनुष्यों के करीबी संपर्क में आने पर यह रोग फैलने लगता है। इसके लक्षण शरीर में दो से चार सप्ताह तक रह सकते हैं।
सरकार पहले से अलर्ट है
मंकीपॉक्स को लेकर सरकार पहले से अलर्ट है। स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को पहले ही इस बारे में दिशानिर्देश जारी कर चुका है। राज्य सरकारों ने भी अपने यहां विदेश यात्रा से आए लोगों की रैंडलम सैंपलिंग की है। गत मई में ICMR ने कहा कि यह संक्रमण बच्चों के लिए अधिक खतरनाक है। इसलिए बच्चों इससे बचाने की आवश्यकता ज्यादा है। एएनआई समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान ICMR वैज्ञानिक डॉ. अर्चना मुखर्जी ने कहां, कि बच्चों को इस संक्रमण से बचाने की अधिक जरूरत है। डॉ. अर्चना मुखर्जी के अनुसार जिन लोगों को 1980 के बाद टीका नहीं लगा है, उनके लिए यह संक्रमण अधिक खतरनाक है।
मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स से संक्रमित होने पर शरीर में दर्द और शरीर पर चकत्ते पड़ने लगते हैं। व्यक्ति को तेज बुखार होता है और गले के पास गांठें उभरने लगती हैं। मंकीपॉक्स संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अधिकारी ने कहा है, कि मंकीपॉक्स के मामले को रोकने के लिए सही उपाय सही समय पर करने चाहिए।