SC on Pregnancy Termination : सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने गुरुवार को एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। जिसमें ये कहा गया है कि अविवाहित महिलाओं (Unmarried women) को भी गर्भपात का अधिकार (right to abortion) है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (MTP) का विस्तार करते हुए कहा कि इसके तहत किसी भी महिला को गर्भपात का अधिकार है। इसमें विवाहित या अविवाहित होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। यानी अब लिव-इन रिलेशनशिप और सहमति से बने संबंधों से गर्भवती हुई महिलाएं भी अबॉर्शन (abortion) करा सकेगी।
बता दें कि इससे पहले सामान्य मामलों में 20 हफ्ते से अधिक और 24 हफ्ते से कम के गर्भ के अबॉर्शन का अधिकार अब तक विवाहित महिलाओं को ही था, लेकिन इस फैसले के बाद सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दे दिया गया है।
जाने SC तक कैसे पहुंचा ये मामला?
अब जानते है कि आखिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा। दरअसल, 25 साल की महिला की पीटिशन के जरिये ये मामला SC पहुंचा। इस महिला ने 23 सप्ताह के गर्भ को गिराने की इजाजत मांगी थी। वहीं महिला का कहना था कि वो आपसी सहमति से गर्भवती हुई है लेकिन वह बच्चे को जन्म नहीं देनी चाहती क्योंकि उसके पार्टनर ने शादी से इंकार कर दिया है, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने उसे नियमों का हवाला देते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
इसके बाद लड़की ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को दिए अंतरिम आदेश में महिला को राहत देते हुए गर्भपात की इजाज़त दे दी लेकिन इस कानून की व्याख्या से जुड़े पहलुओं पर सुनवाई जारी रखी। आज सुप्रीम कोर्ट ने इसपर बड़ा और ऐतिहासिक फैसला देते हुए विवाहित और अविवाहित का भेद मिटाते हुए सभी को गर्भपात का अधिकार दिया।
मैरिटल रेप पीड़िता भी करा सकेगी अबॅार्शन
बता दें कि इसी फैसले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर बिना मर्जी के बने संबंधों के चलते कोई विवाहित महिला गर्भवती होती है, तो इसे भी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (Termination of Pregnancy Act) के तहत रेप माना जाना जाएगा। यानी की इस लिहाज से उसे भी अबॉर्शन कराने का अधिकार होगा।