Saturday, September 21, 2024
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INS Vikrant : PM Modi ने नौसेना को समर्पित किया INS विक्रांत, कहा- ये युद्धपोत 21वीं सदी के भारत के परिश्रम व प्रतिभा का प्रमाण

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INS Vikrant : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शुक्रवार को केरल के कोच्चि में नौसेना को एक तैरता हुआ शहर आईएनएस विक्रांत समर्पित किया। यह स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत मेक इन इंडिया (Make In India) के तहत बनाया गया है। यह अब तक का भारत (India) का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर शिप (Aircraft Carrier Ship) है। INS विक्रांत को भारतीय नौसेना (Indian Navy) में शामिल करने के बाद पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि आज यहां केरल के समुद्री तट पर भारत, हर भारतवासी, एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है। विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। INS विक्रांत पर हो रहा ये आयोजन विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है।

आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत

पीएम मोदी ने कहा कि यदि लक्ष्य दुरन्त हैं, यात्राएं दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियां अनंत हैं- तो भारत का उत्तर है विक्रांत. आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है विक्रांत. आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत।

INS विक्रांत के आने से नौसेना की ताकत बढ़ी

एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत की कमीशनिंग समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘अमृतकाल’ के प्रारंभ में INS विक्रांत की कमीशनिंग अगले 25 वर्षों में राष्ट्र की सुरक्षा के हमारे मजबूत संकल्प को दर्शाती है। INS विक्रांत आकांक्षाओं और आत्मनिर्भर भारत का एक असाधारण प्रतीक है। उन्होंने कहा कि INS विक्रांत के आने से नौसेना की ताकत बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि आप सभी नौसेना की परंपराओं से अवगत हैं, ओल्ड शिप्स नेवर डाई. 1971 के युद्ध में अपनी शानदार भूमिका निभाने वाले विक्रांत का यह नया अवतार, ‘अमृत-काल’ की उपलब्धि के साथ-साथ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और बहादुर फौजियों को भी एक विनम्र श्रद्धांजलि है. रक्षा मंत्री ने कहा कि हम एक मुक्त, खुला, समावेशी इंडो-पैसिफिक में विश्वास रखते हैं. इस संबंध में हमारे प्रयास प्रधानमंत्री की दृष्टि SAGAR यानी सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन दा रीजन’ से निर्देशित है। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और अन्य व्यक्ति मौजूद है।

बता दें कि, भारत से पहले सिर्फ पांच देशों ने 40 हजार टन से ज्यादा वजन वाला एयरक्राफ्ट कैरियर बनाया है। यह भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, जो वास्तव में एक गेम चेंजर साबित होगा। आइए जानते है आईएनएस विक्रांत की खासियत…

INS Vikrant का क्षेत्रफल ढाई हॉकी मैदानों के बराबर

भारतीय नौसेना के टॉप अधिकारी मानते हैं कि विक्रांत के चालू होने से हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बढ़ेगी। विक्रांत के फ्लाइट डेक का क्षेत्रफल ढाई हॉकी मैदानों के बराबर है, जो मोटे तौर पर 12,500 वर्ग मीटर का क्षेत्रफल है। विक्रांत में स्काई-जंप से सुसज्जित एक छोटा रनवे और एक लंबा रनवे है।

आईएनएस विक्रांत का वजन 45 हजार टन

इसमें बड़ी संख्या में स्वदेशी उपकरण और मशीनरी हैं, जिसमें देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों के साथ-साथ 100 से ज़्यादा एमएसएमई शामिल हैं। विक्रांत के चालू होने से भारत के पास दो परिचालन विमान वाहक होंगे, जो देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे। विक्रांत को बनाने में 20,000 करोड़ की लागत आई है, जो 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है, और इसका 45,000 टन है।

मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल और बहुत कुछ

बताया गया है कि पोत के भीतर 15 डेक, एक मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल, एक पूल, एक किचन और महिलाओं के लिए विशेष केबिन हैं, और ज़ाहिर है, जहाज में लड़ाकू विमानों को ले जाने, हथियार देने और पुनर्प्राप्त करने की तकनीक है. विक्रांत में 2,300 कंपार्टमेंट्स और इसको बनाने में 2,400 किलोमीटर केबल लगे हैं. जानकारी के मुताबिक़, इसमें आठ विशाल बिजली जनरेटर हैं और यह हर दिन चार लाख लीटर वॉटर जेनरेट कर सकता है।

विक्रांत की अन्य ख़ासियत

बताया गया है कि विक्रांत के 76 फीसदी घटक स्वदेशी हैं। विक्रांत कुल 88 मेगावाट बिजली के चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित हैं. यूएस नेवी कैरियर्स के विपरीत, विक्रांत का फ्लाइट डेक स्काई-जंप के साथ STOBAR (शॉर्ट टेक-ऑफ बट अरेस्ट रिकवरी) कॉन्फ़िगरेशन होगा, जो टेक-ऑफ के दौरान विमान को अतिरिक्त लिफ्ट देगा. फ्लाइट डेक पर अरेस्टर वायर टेल हुक को पकड़ते हैं जो प्लेन को रोकने का काम करते हैं. अगर पायलट तीनों वायर से चूक जाता है, तो उसे लैंडिंग के लिए एक और प्रयास करना होगा।

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