Sunday, December 15, 2024
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Akhilesh Yadav पहले तय करें वो क्या हैं, आधा शूद्र या आधा क्षत्रिय- ओपी राजभर

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बीते दिनों अखिलेश यादव द्वारा दिए गए बयान कि बीजेपी उन्हें शूद्र मानती है, इस पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि हमने भी समाजवाद की परिभाषा पढ़ी हैं। राम मनोहर जी ने कहा है कि समाजवाद लाना है तो अपने नाम के आगे पीछे से जाति हटा दो यही समाजवाद है और अखिलेश जी क्या है अखिलेश सिंह यादव लिखते, जो आधा शूद्र और आधा क्षत्रिय बनते है, पहले वो तय कर लें कि वो क्या है।

दिमाग के दिवालिया हैं स्वामी प्रसाद

वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरित मानस पर दिए गए विवादित बयान को लेकर ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि यह उनके दिमाग का दिवालियापन है जब वे चार बार बहुजन समाजवादी पार्टी की सत्ता में मंत्री थे तब इनको ना तो महिलाओं का अपमान समझ में आया ना पिछड़े दलितों का अपमान समझ में आया। वहीं बहुजन समाजवादी पार्टी की सत्ता जाते ही इन्होंने देखा तो फिर राम की शरण में चले गए। इनका काम है पिछड़ों का माल लूटना यही किया है। मुझे आश्चर्य है कि इनके बयान पर कि पढ़े लिखे लोग हैं ऐसा बयान कैसे दे सकते है।

स्वामी प्रसाद संविधान को नहीं मानते

उन्होंने आगे कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने पूरे संविधान में कहीं भी एक शूद्र शब्द नहीं लिखा है। उन्होंने संविधान में 4 जाति बनाई है सामान्य वर्ग, पिछड़ा वर्ग, दलित और अनुसूचित जनजाति। जब स्वामी प्रसाद एमएलसी बने तो संविधान की शपथ ली कि संविधान के दायरे में रहकर काम करेंगे, तो संविधान तो इस बात की इजाजत नहीं देता कि किसी धर्म मजहब के खिलाफ बोलें, या उसे अलग हटकर टिप्पणी करें। इसका मतलब कि आप संविधान को नहीं मानते हो।

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सत्ता में रहते हुए शिक्षा पर कानून बनाना याद नहीं आता

देश में ये हालात हैं कि बेरोजगारी दिन प्रतिदिन दिन बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी, महंगाई पर बोलने इसकी लड़ाई लड़ने की चिंता नहीं है। देश में महंगाई कम हो एक समान फ्री शिक्षा हो तभी देश, समाज और प्रदेश तरक्की करेगा। जब लोग सत्ता में रहते है तो शिक्षा पर कानून बनाने की बात याद नहीं आती।

किसानों का लोन माफ नहीं होता

उन्होंने आगे कहा कि आज लाखों-करोड़ों रुपए का लोन जब कोई अमीर आरबीआई से लेता है और नहीं चुका पाता है तो उसे डिफाल्टर घोषित करके कर्ज माफ कर दिया जाता है। वहीं दूसरी ओर जो किसान लोन ले रहे हैं नहीं दे पा रहे है, जो गरीब घरेलू बिजली का बिल नहीं दे पा रहे है ऐसे लोगों को डिफाल्टर घोषित करके उनके कर्ज माफ क्यों नहीं किए जाते।

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