वॉट्सऐप, फेसबुक और इंस्टाग्राम (WhatsApp, facebook, Instagram) और अन्य ऐप आपको बिल्कुल फ्री कॉलिंग की सुविधा देते हैं। लेकिन जल्द ही आपको वह इसके बदले पैसे चुकाने को कह सकते है। जी हां दरअसल ये सभी ऐप जो आपको फ्री वॅायस कालिंग (Free Voice Calling) की सुविधा दे रहें यह एक नई पेड सर्विस (Paid Service) पर काम कर रहे हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो मेटा (Meta) ने एक नया डिवीजन बनाया है। तो चलिए जानते है कि कब से ये सर्विस लागू होगी और ऐसा क्यों हो रहा…
बता दें कि, ट्राई (Trai) ने शुरुआत में इस प्रस्ताव को 2008 में वापस भेज दिया था, जब भारत में मोबाइल इंटरनेट शुरुआती चरण में था। डीओटी ने अब प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया दी है इस ट्राई ने एक पूरी रिपोर्ट बनाने के लिए कहा है। ये फैसला नई तकनीकों के साथ हो रहे तकनीकी माहौल में आए बदलाव के चलते किया जा रहा है। नए नियम इंटरनेट टेलीफोन ऑपरेटरों और यहां तक कि व्हाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य ऐप्स को भी ध्यान में रखकर बनाने को कहा गया है।
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इंटरनेट पर मुफ्त कॉल नहीं?
ट्राई 2008 में दिए अपने प्रस्ताव में कहा था कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को सामान्य टेलीफोन नेटवर्क पर इंटरनेट कॉल प्रदान करने की अनुमति दी जा सकती है। हालांकि, उन्हें इंटरकनेक्शन शुल्क के लिए भुगतान करना होगा, और कई सुरक्षा एजेंसियों का अनुपालन करना होगा।
क्या वॉयस और Video कॉल के लिए अलग से पैसे खर्च करने होंगे?
यदि ऐसा कानून पारित हो जाता है, तो Google डुओ, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम, फेसबुक मैसेंजर, सिग्नल, टेलीग्राम, और इसी तरह की सभी सेवाओं आदि जैसी मुफ्त टेक्स्टिंग और कॉलिंग सेवाओं करने वाले यूजर्स को इन सर्विसेज के लिए पे करना होगा। इन सेवाओं पर टैरिफ और शुल्क कैसे लागू किए जाएंगे, यह देखना होगा। ऐसे में क्या व्हाट्सएप यूजर्स को वॉयस और वीडियो कॉल करने के लिए अलग से टॉकटाइम खरीदना होगा?
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2016-17 में एक बार फिर इस मुद्दे को उठाया गया था जब नेट न्यूट्रैलिटी का मुद्दा चर्चा में था। हालांकि, दूरसंचार विभाग अब प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। कहा जाता है कि टेलीकॉम ऑपरेटर लंबे समय से सभी इंटरनेट आधारित कॉलिंग और मैसेजिंग सेवाओं के लिए एक समान कानून की मांग कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें लाइसेंस शुल्क के समान स्तर का भुगतान करना चाहिए, कानूनी अवरोधन, जैसा कि दूरसंचार ऑपरेटरों और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) पर लागू होता है।
बता दें कि, मेटा (Meta) के पेड सब्सक्रिप्शन से यूजर्स को ऐप पर अनाउंस होने वाले फीचर्स के साथ दूसरी चीजों तक अर्ली एक्सेस मिलेगा। दूरसंचार विभाग (DoT) ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) से इंटरनेट आधारित कॉल को रेगुलेट करने के बाद के प्रस्ताव पर अपने विचार व्यक्त करने को कहा है। दूरसंचार ऑपरेटरों की ओर से “समान सेवा, समान नियम” के प्रिंसिपल पर विचार करने का दबाव रहा है। पेड फीचर्स कैसे होंगे इसकी जानकारी जल्द सामने आएगी। कंपनी पेड सब्सक्रिप्शन को बढ़ाने के लिए यूजर्स को एक हफ्ते का फ्री ट्रायल दे सकती है।