New Norms Of UGC : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार (M. Jagadesh Kumar) ने बुधवार को कहा कि चार वर्षीय स्नातक डिग्री वाले छात्र अब सीधे पीएचडी कर सकेंगे। यानी उन्हें अब अलग से मास्टर डिग्री करने की जरूरत नहीं रहेगी। दरअसल, यूजीसी ने अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम में बदलाव की हाल ही में घोषणा की थी, लेकिन, जगदीश कुमार ने यह स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय तीन और चार साल के कार्यक्रमों के बीच चयन कर सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि तीन साल के ग्रेजुएशन कोर्स को ‘4-वर्षीय कार्यक्रम’ के पूरी तरह से लागू होने तक बंद नहीं किया जाएगा। चार साल के स्नातक कार्यक्रम (FYUP) के फायदों के बारे में कुमार ने कहा, कि उन्हें पीएचडी प्रोग्राम (Ph.D) में शामिल होने के लिए मास्टर डिग्री यानी परास्नातक (Post Graduation) करने की जरूरत नहीं है। किसी विषय में गहरे ज्ञान के लिए वे एक से ज्यादा विषय भी ले सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि बहु-विषयक पाठ्यक्रम (Multidisciplinary Courses), क्षमता वृद्धि पाठ्यक्रम (Ability Enhancement Courses), कौशल वृद्धि पाठ्यक्रम (Skill Enhancement Courses), मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम (Value-Added Courses) और इंटर्नशिप (Internships) चार साल के स्नातक कार्यक्रम (FYUP) में शामिल हैं, यह छात्रों के लिए रोजगार लेने या उच्च अध्ययन के लिए अवसरों को बढ़ाएगा।
यूजीसी ने सोमवार को स्नातक कार्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम और क्रेडिट ढांचे (Curriculum And Credit Framework) को नोटिफाइड किया जो छात्रों को प्रवेश और निकास के लिए कई विकल्प (Multiple Options For Entry And Exit) प्रदान करेगा। मौजूदा ‘च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (Choice Based Credit System)’ को संशोधित करके प्रारूप विकसित किया गया है। कार्यक्रम के अनुसार, छात्र मौजूदा समय की तरह तीन साल के पाठ्यक्रम के बजाय केवल चार साल की ऑनर्स डिग्री हासिल कर सकेंगे। ऑनर्स डिग्री भी दो श्रेणियों में-ऑनर्स (Honours) और ऑनर्स विद रिसर्च (Honours With Research) प्रदान की जाएंगी।