Aditya- L1 Mission : मिशन मंगल की सक्सेस के बाद अब स्पेस में भारत एक और रिसर्च करने की ओर कदम बढ़ाने वाला है। दरअसल, अब भारतीय वैज्ञानिक सूरज पर रिसर्च करने की तैयारी में है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जून 2023 या जुलाई तक आदित्य-एल1 (Aditya L1 Mission) मिशन शुरू करने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत भारतीय स्पेस एजेंसी सूरज के भी नजदीक पहुंच जाएगी और उसके रहस्यों को जानेगी। इस बात की घोषणा इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने गुरुवार को एक इवेंट के दौरान करते हुए कहा कि आदित्य-एल1 मिशन जून या जुलाई तक लॉन्च कर दिया जाएगा।
क्या है ये मिशन
आदित्य-एल1 मिशन पूरी तरह से सूरज को केंद्रित करके बनाया गया है। इस मिशन के तहत इसरो आदित्य-एल1 को ऑर्बिट एल-1 में लॉन्च करेगी। दरअसल, ये वही ऑर्बिटल है जो सूरज और पृथ्वी के बीच का पहला लाग्रंगियन पॉइन्ट है, ये अंतरिक्ष में एक ऐसी स्थिति होती है, जो पृथ्वी से भेजी गई चीज को वहां रोककर रखती है। इस जगह पर गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव और कक्षा की गति संतुलित रहती है। अगर यह मिशन सफल रहा तो इससे सूरज के बारे में हमें बहुत कुछ और पता चल जाएगा।
जानें क्या है आदित्य-एल1
आदित्य-एल1 एक ऐसा स्पेक्राफ्ट है जिसमें सात पेलोड हैं। इसमें प्राइमरी पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ है इसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु ने डिजाइन कर बनाया है। बता दें कि, सैटेलाइट में लगे पेलोड का मतलब होता है, सैटेलाइट द्वारा ले जाए जाने वाले साइंटिफिक उपकरण, जिनका इस्तेमाल इस मिशन में इसरो द्वारा किया जाएगा।
जानें सूरज के रिसर्च से क्या फायदा होगा
दरअसल, पृथ्वी सहित हर ग्रह और सौरमंडल से परे एक्सोप्लैनेट्स होते हैं और यह विकास अपने मूल तारे द्वारा कंट्रोल होता है. यही वजह है कि सौर मौसम और वातावरण जो सूरज के अंदर और आसपास होने वाली प्रक्रियाओं से निर्धारित होता है, पूरे सोलर सिस्टम को प्रभावित करता है. यहां तक कि सोलर सिस्टम पर पड़ने वाले प्रभाव उपग्रह की कक्षाओं को बदल सकते हैं। इसे ऐसे समझिए कि इनकी वजह से पृथ्वी पर इलेक्ट्रॉनिक संचार बाधित हो सकता है। इन्हीं सब तरह की समस्याओं से समय रहते निपटने के लिए सूरज का रिसर्च बहुत जरूरी है। इस मिशन के जरिए सूरज के बारे में इंसान बहुत ज्यादा जान पाएंगे।