कैसे कहूं किस हाल में जिंदा हूं
देख बहू-बेटियों की ये दीन दशा
आज बहुत शर्मिंदा हूं।।
मौन हूं
बेचैन हूं
व्यथित हूं इन तस्वीरों से।।
झुक गई आंखे शर्म से
तुम निर्लजों के इस कुकर्मों से।।
कैसे तुम हैवानों ने सरेआम
महिलाओं की अस्मत से यूं खिलवाड़ किया।।
मानवता को शर्मसार किया,
मेरे दामन को भी दागदार किया।।
मन ही मन अश्रु नैन हूं
आंखो पर घूम रही हर घड़ी
उस बेटी की तस्वीर
जिनकी लज्जा को मैं न बचा पाई तुम शैतानों से।।
मेरे हृदय पर बड़ा ही घातक आघात किया
कैसे कहूं अपनी पीड़ा,
किस हाल में जिंदा हूं
देख बहू-बेटियों की ये दीन दशा
आज बहुत शर्मिंदा हूं।।
By- Ankita Yadav
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