हां मैं स्त्री हूं, सरल भी हूं
सहज भी हूं कठोर भी औऱ कोमल भी हूं
शक्ति हूं, संवेदना हूं
त्याग हूं, सहनशीलता हूं
और ममत्त्व से परिपूर्ण भी हूं
हां मैं स्त्री हूं
भगवान को भी अपने गर्भ में
रखने की ताकत रखती हूँ,
इस सृष्टि का सृजन, बिन मेरें अधूरा है
फिर भी मैं सदियों से कुचली जा रही हूं
बावजूद इसके मैं गर्व से अपने,
सर को उठाकर चलती हूं