Shri Thanedar : जहां हमारे देश में प्रधानमंत्री मोदी खुद को भारत का रक्षक व चौकीदार कहते है। वे देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और समाजिक बुराईयों को खत्म करने की बात करते है। ठीक उसी प्रकार अमेरिका में भी एक भारतीय मूल के चौकीदार है, जिन्होंने मध्यावधि चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के मार्टेल बिविंग्स को भारी मतों से मात देकर जीत का परचम लहराया है। मिशिगन में यह पहला मौका है जब किसी भारतीय मूल के नेता ने जीत हासिल की है, इनका नाम है श्री थानेदार (Shri Thanedar), जो बचपन में परिवार की आर्थिक सहायता के लिए चौकीदार की नौकरी करने लगे थे और आज अमेरिकी सांसद बन गए है। आइए इनके जीवन से जुड़ी रोचक कहानी के बारे में जानते है।
कनार्टक में जन्मे है Shri Thanedar
67 वर्षीय Shri Thanedar पहले भारतीय-अमेरिकी नेता बनें हैं, जिन्होंने इस जीत से पूरे भारत देश को गौरवान्नवित किया है। बता दें कि श्री थानेदार का जन्म 1955 में कर्नाटक के बेलगाम में एक सामान्य परिवार में हुआ था। इनका जीवन काफी कठिनाइयों से गुजरा है, इनके पिता साधरण सी नौकरी करते थे, अचानक 55 साल की उम्र में वे रिटायर हो गये।
पिता की मौत के बाद करनी पड़ी चौकीदार की नौकरी
पिता के रिटायरमेंट के बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी श्री थानेदार के कंधो पर आ गई, इन्होंने परिवार की आर्थिक मदद के लिये 14 साल की उम्र में ही मजदूरी व अन्य कई काम करने पड़े थे। फिर पिता की मौत के बाद उन्होंने चौकीदार की भी जॉब की।
जब मिली साइंटिस्ट की जॅाब
तमाम मुश्किलों के बाद थानेदार ने अपनी पढ़ाई पूरी की और मुंबई से केमेस्ट्री में ग्रेजुएट हुए और फिर पोस्ट ग्रेजुएट भी किया। इसके बाद इनके जीवन में एक बड़ा और सुखद मोड़ आया, जब उन्हें भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में साइंटिस्ट की जॉब मिली। कुछ साल जॉब करने के बाद 1979 में पीएचडी करने के लिए वे अमेरिका चले गए। वहां एक्रॉन यूनिवर्सिटी से 1982 में उनकी पीएचडी पूरी हुई। छह साल बाद उन्होंने अमेरिका की नागरिकता ले ली। कुछ समय उन्होंने मिशिगन यूनिवर्सिटी में भी नौकरी भी की, फिर 1984 में उन्हें पेट्रोलाइट कॉर्प में एक रिसर्चर की जॉब मिल गई।
जिस कंपनी में करते थे काम उसी के बन गए मालिक
श्री थानेदार ने सन् 1990 में केमिर पॉलीटेक लैबोरेट्रीज में 15 डॉलर प्रति घंटे पर नौकरी करनी शुरू की। साल 1991 में उन्होंने बैंक से 75,000 डॉलर का कर्ज लिया और इसी कंपनी को खरीद लिया। पहले साल में उन्होंने 150,000 डॉलर का बिजनेस किया और सिर्फ तीन ही कर्मी थे। साल 2005 तक इसका रेवेन्यू 16 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया और यहां पर काम करने वाले लोगों की संख्या 160 हो गई जिसमें 40 पीएचडी डिग्री वाले थे। साल 2008 तक थानेदार की कंपनी में 500 लोग काम करते थे और रेवेन्यू 55 मिलियन डॉलर था।
चौकीदार बना अब अमेरिकी सांसद
बचपन में चौकीदारी करने के लिए मजबूर श्री थानेदार ने अपने संघर्षों के दम पर सफलता हासिल की। अपनी पढ़ाई पूरी की और वैज्ञानिक बने, उद्यमी बने और अब अमेरिकी सांसद बने हैं। मिशिगन में यह पहला मौका है जब किसी भारतीय मूल के नेता ने जीत का परचम लहरा है।
भारत को करते है बहुत मिस
श्री थानेदार का कहना है कि वह बड़े सपने लेकर अमेरिका आए थे और उनको साकार भी किया। वे अश्वेत समुदाय के लिए काम करना चाहते थे, इसलिए चुनाव लड़ा था, वे अब वह लोगों की सेवा करना चाहते हैं। उन्होंने मराठी भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी है। वे कहते हैं कि भारत को वे बहुत मिस करते हैं और मौका निकालकर वे यहां आएंगे।
मिशिगन से संसदीय चुनाव जीतने वाले पहले भारतवंशी
बता दें कि श्री थानेदार मिशिगन से संसदीय चुनाव जीतने वाले पहले भारतवंशी बने हैं। डेमोक्रेट प्रत्याशी थानेदार ने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी मार्टेल को बड़े अंतर से मात दी है। उन्हें 84,096 मत मिले, जबकि मार्टेल को 27,366 वोट हासिल हुए। श्री थानेदार अमेरिका की प्रतिनिधिसभा में चुने जाने वाले पांचवें और मिशिगन से चुने गए पहले भारतीय अमेरिकी हैं। थानेदार फिलहाल मिशिगन हाउस में तीसरे जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह पहली बार प्रतिनिधि सभा का हिस्सा बनेंगे। एक अरबपति 67 साल के श्री थानेदार, राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना और प्रमिला जयपाल की कतार में शामिल हो गए हैं।
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