Indian Origin Leaders in World : भारतीय मूल के ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रच दिया है। सुनक के पीएम बनने के बाद से ही ब्रिटेन से लेकर भारत तक में जश्न का मौहाल हैं। बता दें कि वह न केलव ब्रिटेन की राजनीति के 200 से अधिक वर्षों में सबसे कम उम्र के युवा प्रधानमंत्री हैं, बल्कि इस पद पर काबिज होने वाले भारतीय मूल के पहले शख्स भी हैं। क्या आपको पता है कि ब्रिटेन के अलावा 6 और ऐसे देश हैं जिसकी बागडोर भारतवंशियों के हाथ में है। आइए एक नजर डालते है कि वो कौन से देश है जिनकी कमान भारतीयों (Indian Origin Leaders in World) के हाथ में हैं।
Indian Origin Leaders in World : जानें उन भारतवंशियों के बारे में जिनके हाथों में हैं विदेशी देशों की कमान
मॉरीशस के पीएम प्रविंद जगन्नाथ
इस लिस्ट (Indian Origin Leaders in World) में पहला नाम प्रविंद कुमार जगन्नाथ का हैं, जो वर्तमान में मॉरीशस के प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले वे कैबिनेट में कई प्रमुख पदों पर रह चुके हैं। उनका जन्म ला कैवर्ने में एक भारतीय परिवार में हुआ था। जिनकी जड़ें भारत के बिहार से जुड़ी हुई हैं। प्रविंद जगन्नाथ के पिता अनिरुद्ध जगन्नाथ भी मॉरिशस की राजनीति के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। वह मॉरिशस के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पद पर रहे थे।
मौजूदा प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ कुछ समय पहले अपने पिता की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने के लिए भी वाराणसी आए थे। इसके साथ ही वह अलग-अलग मौकों पर भारत आते रहे हैं। वहीं मॉरीशस के मौजूदा राष्ट्रपति पृथ्वीराजसिंह रूपन भी भारतीय मूल के ही राजनेता हैं।
अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस
संयुक्त राज्य अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस, जो अमेरिका के इतिहास में पहली बार डेमोक्रेटिक पार्टी की कोई महिला नेता उप राष्ट्रपति बनीं हैं। कमला हैरिस भारत के साथ अपने जुड़ाव का खुलकर ज़िक्र करने के लिए भी जानी जाती हैं। कमला हैरिस का भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु से रिश्ता है। वे 2011 से 2017 तक कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल के रूप में भी काम कर चुकी हैं। उन्होंने साल 2018 में अपनी आत्मकथा, ‘द ट्रुथ वी टोल्ड’ में लिखा है कि “लोग मेरा नाम किसी विराम चिन्ह यानी “Comma-la” की तरह बोलते हैं.”
पुर्तगाल के पीएम एंटोनियो कोस्टा
यूरोप में भारतीय मूल के नेताओं में एंटोनियो कोस्टा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। एंटोनियो कोस्टा पुर्तगाल के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं। इसी साल चुनाव में जीतने के बाद उनका यह तीसरा कार्यकाल है। एंटोनियो के पिता ओरलैंडो कोस्टा एक कवि थे। उन्होंने उपनिवेश विरोधी आंदोलन में हिस्सा लिया था और पुर्तगाली भाषा में ‘शाइन ऑफ़ एंगर’ नामक मशहूर किताब लिखी थी। कोस्टा पुर्तगाल के साथ ही गोवा से जुड़े हुए है। उनके दादा लुई अफोन्सो मारिया डी कोस्टा गोवा के निवासी थे। हालांकि, एंटोनियो कोस्टा का जन्म मोजाबिंक में हुआ था। उनके कई रिश्तेदार गोवा के मरगाओ के नजदीक रहते हैं।
अपनी भारतीय पहचान पर कोस्टा ने एक बार कहा था कि ‘मेरी चमड़ी के रंग ने मुझे कभी भी कुछ भी करने से नहीं रोका। मैं अपनी त्वचा के रंग के साथ सामान्य रूप से रहता हूँ। यही नहीं, कोस्टा भारत के ओसीआई कार्ड धारकों में शामिल हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2017 में उन्हें उनका ओसीआई कार्ड सौंपा था।
सिंगापुर की राष्ट्रपति हलीमा याकूब
सिंगापुर की राष्ट्रपति हलीमा याकूब के पूर्वजों का इतिहास भी भारत से जुड़ा हुआ है। उनके पिता भारतीय मूल के थे, जबकि मां मलयाली मूल की थीं। याकूब सिंगापुर की पहली महिला राष्ट्रपति हैं। इससे पहले वे सिंगापुर संसद की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। सिंगापुर में मलय आबादी लगभग 15 फ़ीसद है. मलय मूल के लोग इंडोनेशिया और मलेशिया में फैले हुए हैं। इसके बाद भी हलीमा याक़ूब ने सिंगापुर की पहली महिला राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है।
सूरीनाम के राष्ट्रपति संतोखी
लेटिन अमेरिकी देश सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी की जड़े भी भारत से जुड़ी हुई हैं। वे वहां प्रोग्रेसिव रिफॉर्म पार्टी से जुड़े हुए हैं। यह पार्टी भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है और मूल रूप से इसे यूनाइटेड हिंदुस्तानी पार्टी कहा जाता था।
गुयाना के राष्ट्रपति इरफ़ान अली
कैरिबियाई देश गुयाना के राष्ट्रपति इरफ़ान अली के पूर्वजों की जड़ें भी भारत से जुड़ी हैं। उनका जन्म साल 1980 में एक भारतीय मूल के परिवार में हुआ था। वर्ष 2009 से 2015 तक वे मंत्री रहे।
सेशेल के राष्ट्रपति वावेल रामकलावन
सेशेल के राष्ट्रपति वावेल रामकलावन भी भारतीय मूल के नेता हैं, जिनके पूर्वज के तार भारत के बिहार प्रांत से जुड़े हुए हैं। उनके पिता एक लोहार थे, वहीं, उनकी माँ एक शिक्षिका थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2021 में उन्हें भारत का बेटा बताते हुए कहा था कि ‘वावेल रामकलावन की जड़ें बिहार के गोपालगंज से जुड़ी हुई हैं. आज न सिर्फ़ उनके गाँव बल्कि पूरे भारत के लोग उनकी उपलब्धियों पर गर्व करते हैं।