Nag Nathaiya Leela Varanasi : काशी के लक्खा मेले में शुमार नाग नथैया लीला (Nag Nathaiya Leela) का मंचन शनिवार को तुलसी घाट पर हुआ। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला देखने के लिए भक्त दोपहर से ही घाटों की सीढि़यों पर जमे रहें। इस दौरान वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। तीन बजे से नाग नथैया की लीला का प्रारंभ हुआ जिसमें सबसे पहले घाट पर बनी व्यास चौकी पर व्यास लोगों ने भगवान की चौपाई शुरू की।
चौपाई पाठ से शुरू हुई गिरधर गोपाल की लीला
भगवान कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा व अन्य मित्रों के साथ यमुना के किनारे गेंद खेल रहे थे। खेलते वक्त गेंद यमुना नदी में चली गई। भगवान के गेंद लाने के लिए युमना में जाने की बात अपने मित्रों से कही। इस पर सुदामा ने कन्हैया को बताया कि यमुना कालिया नाग रहता है जो बड़ा ही भयानक है और उसके भय से नदी में रहने वाले जलचर व पूरे मथुरावासी नदी के जल में प्रवेश नहीं करते हैं। भगवान कृष्ण ने दोस्तों के मना करने के बावजूद गेंद लाने के लिए यमुना में छलांग लगा दी। भगवान के यमुना में छलांग लगाने के साथ ही घाट पर मौजूद लाली प्रेमियों ने दोनों हाथ उठाकर हर हर महादेव का जयघोष किया।
लीला देख सभी श्रद्धालु हुए आनंदित
जल में कालिया नाग से भगवान का युद्ध हुआ। उसे हराने के बाद भगवान श्रीकृष्ण कालिया नाग के पीठ पर खड़े होकर बंशी बजाते हुए जल से बाहर निकले। इस अद्भुत लीला को देखकर घाट पर मौजूद सभी श्रद्धालु आनंदित हो उठे।
कुवंर अनन्त नारायण सिंह ने भी लिया लीला का आनंद
काशी की पारंपरिक नाग नथैया लीला में कुवंर अनन्त नारायण सिंह भी शामिल हुए। शाम को 4.30 बजे अपनी नाव से तुलसी घाट पर पहुंचे और नाग नथैया लीला का आंनद लिया। इसके बाद काशी नरेश ने भगवान कृष्ण बनने वाले बालक को सोने की गिन्नी भेंट स्वरुप प्रदान की।