Thursday, September 19, 2024
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Kavya Rang : दुर्गा

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कल जिसके साथ तूने पूरी रात बिताई,
सुबह होते ही वह कलंकिनी कहलाई।

कल जिससे लिपटा था तू सारी रात,
सुबह कुलक्षणी हुई उसकी परछाई।

सोया तो तूभी था ना उसके साथ !
उसकी बोली भी तो तूने ही थी लगाई,
फिर क्यों, सिर्फ वही बाजारू कहलाई?

उसी के आंगन की मिट्टी से तुमने देवी की मूर्ति बनाई,
दोनों ही हैं स्त्री, नाम भी एक ‘दुर्गा’

फिर क्यों बता ऐ जहां….?
एक ‘माँ ‘और दूसरी ‘वैश्या’ कहलाई!

By- प्रगति दूबे

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