हम मिले उनसे एक उम्र के बाद,
नज़रे मिलते ही वो नादानी याद आयी।।
वो बीती हुयी मुलाक़ाते,
वो झूठे कसमें-वादे
और वो बातें याद आयी।
जिनमें कभी मैं-तुम ‘हम’ होने की
बाते किया करते थे।।
हुआ मन कि सिर रख तेरे कंधे पर जी भर के रो लूं
तेरे किए सारे सितम तुझसे बोल दूं,
मुझे फिर याद तेरी वो रुसवाई आई,
दिल चाहा क़त्ल कर लूं,
खुद के दिल मे घोप कर खंजर
तभी ये एकतरफा मोहब्बत की भलाई याद आयी।।
फिर भूल कर सब कुछ खो गया मैं मयखाने में
क्योंकि तेरे दिये हुए जख्मों पर लगाने वाली
दवाई याद आई।
By- Abhinav Yadav
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