वक़्त- बेवक्त छलक जाती हैं आँखें,
तेरे जाने के बाद।
लम्हा-लम्हा आती हैं तेरी याद,
तेरे जाने के बाद।
सोचा न था इतने सुनसान हो जायेंगे दिन,
तेरे जाने के बाद।
सताती हैं यादें तेरे साथ गुज़रे पलों की,
तेरे जाने के बाद।
हुआ है एहसास तेरी शिकायतों का,
तेरे जाने के बाद।
बिन रास्ते के ठहर गई है जिंदगी,
तेरे जाने के बाद।
जब हँसा था तेरी बातों पर,
तो कहा था तुमने बहुत तरसोगे सजन,
मेरे जाने के बाद।
सच ही तो है कितना तरसा हूँ,
तेरे जाने के बाद।
वक़्त-बेवक्त छलक जाती हैं आँखें,
तेरे जाने के बाद।
By- विक्रम शार्दुल प्रताप सिंह

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