दिसम्बर भी गया, यह साल भी बीत जायेगा
वो एक तारीख़ जो ज़हन से जाती ही नहीं।।
एक वक़्त हैं जो दिन व दिन घटता जा रहा हैं
एक लम्हा तुम्हारे बगैर कट पाता ही नहीं।।
दिन, महीने, साल और फिर सदियाँ
मोहब्बत मेरी नफ़रत में आती ही नहीं।।
वक्त कटता नहीं अब तुम्हारे बगैर क्या करें
साल जातें हैं पर वो तारीख़ ज़हन से जाती ही नहीं।।
By- Ankita Yaduvanshi
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