हज़ारों ख़्वाब हैं दिल में
तो ज़िम्मेदारियां भी हैं।
कभी अपनों की चिंता तो
पुरानी यारियाँ भी हैं।
मग़र तू फ़िक्र न करना
मैं सब कुछ देख लूँगा।
मुझे आदत है, चाहत है
मैं सब कुछ देख लूँगा।
मेरे अरमान हैं तो क्या
मेरा परिवार भी तो है।
कोई मुश्किल हो, मेरे संग
मेरा परिवार ही तो है।
इसी परिवार की ख़ातिर
मुझे अब दूर जाना है
कि कुछ पैसा कमाना है
कि अपना घर चलाना है
मग़र तू फ़िक्र न करना
मैं सब कुछ देख लूँगा।
मुझे आदत है, चाहत भी
मैं सब कुछ देख लूँगा।
किसी कोने में कमरे के
कभी मैं रो भी लेता हूँ
कि माँ की याद को इन
आँसुओं से धो भी लेता हूँ।
तेरा है शुक्रिया मालिक मेरे
जो भी दिया तूने
कि चेहरे पर ख़ुशी उनके
मुझे साहस दिया तूने।
मग़र तू फ़िक्र न करना
मैं सब कुछ देख लूँगा।
मुझे आदत है, चाहत भी है
मैं सब कुछ देख लूँगा।।
By-©शशांक यादव
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