मोहब्बत में मजबूत से मजबूत लोहा टूट जाता है,
मुसल्ला सामने हो तो निहत्था टूट जाता है।
सफर की मुश्किलों से बस मुसाफ़िर ही रहे वाकिफ़,
बदन और हौसले के साथ क्या क्या टूट जाता है।
तअल्लुक को तहम्मुल से निभाना है बहुत लाज़िम,
ज़रा सी भूल से मजबूत रिश्ता टूट जाता है।
मिसाल-ए-ज़िन्दगी जीना सलीक-ए-मंद ही जाने,
कि बेतरतीब होने से करीना टूट जाता है।
सरापा ढांप लेना ही फ़क़त काफी नही होता,
कोई आवाज़ भी सुन ले तो पर्दा टूट जाता है।
मुसलसल आज़माईश में घिरे रहने से लोगों का,
दुवाओं, हिकमतों पर से अक़ीदा टूट जाता है।।
BY- ©विकास मिश्र
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