आपके ही नाम से जानी जाती हूं पापा
शायद ना किया कभी कुछ ऐसा
जिस पल ने आपको मेरे बेटी होने का गर्व
महसूस हो कराया।।
हां कोशिश तो कई बार की,
लेकिन फिर भी खुद को विफल ही पाया।।
आपने पिता होने का हर फर्ज बखूबी निभाया
पर मैनें अच्छी बेटी होने का
फर्क कभी महसूस ना कराया।।
बावजूद इसके बचपन के खिलौने से लेकर
अबतक जरुरत की हर चीज
जो मैंने चाहा आपने दिलाया।।
जेब भले ही खाली थी फिर भी कभी
मुझे स्कूल-कॅालेज के लिए खाली हाथ ना लौटाया।।
आपने हमेशा मेरे कुछ बड़ा बन जाने की उम्मीद में
दिन रात खून पसीना एक कर बड़ी मेहनत से कमाया
फिर भी मैंने आपको कभी बेटी होने का फर्क महसूस ना कराया।।
दिल में तमाम दर्द, जिंदगी की उलझने, माथे की वो सिकन
अंदर की वो घुटन, सबकुछ आपने
बस अपनी झूठी मुस्कान तले दबाया।।
ना कि किसी से कोई शिकायत कभी
ना कभी अपने तकलीफों को किसी से बताया
जब भी मां ने पूछना चाहा आपने
बस हां सब ठीक है कहकर
बातों को बड़ी ही होशियारी से टाल कर छिपाया।।
आसान नहीं है आप सा होना,
खुद जलकर परिवार को शीतल भरी छांव देना
मौन रहकर भी सबकुछ चुपचाप सहना।।
आपने तो पिता होना का हर फर्ज बखूबी निभाया,
पर, हां अब कुछ ऐसा है ठाना
आप के सपनों को है पंख लगाना
आप के कैमरे में है समाना,
बस बनकर आप की परी
आपका नाम रौशन है कर जाना।।
By- Ankita Yadav
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