Sunday, December 15, 2024
spot_img
spot_img
HomeInteresting FactsBHU Foundation Day : भिक्षा, त्याग से कैसे खड़ी हुई शिक्षा की...

BHU Foundation Day : भिक्षा, त्याग से कैसे खड़ी हुई शिक्षा की यह इमारत, प्रयागराज से शुरू हुआ था सफर, इस पार्टी के मंच से हुई थी घोषणा

spot_img
spot_img
spot_img

BHU Foundation Day : देश सहित पूर विश्व में सर्व विद्या की राजधानी के रूप में पहचाने जाने वाली काशी हिंदू विश्वविद्यालय ( BHU) के लिए आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। महामना मदन मोहन मालवीय ने सन् 1916 में बसंत पंचमी के पर्व पर इसकी नींव महान भारतीय संस्‍कृति को शिक्षा के माध्‍यम से जन-जन तक पहुंचाने के लिए रखी थी। आज काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय अपना 109वां शताब्‍दी वर्ष समारोह मना रहा है। विश्‍वविद्यालय के इस शताब्‍दी वर्ष पर राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्‍यक्ष प्रो कौशल किशोर मिश्र द्वारा प्रकाशित ‘काशी जर्नल ऑफ सोशल साइंसेज’ से हमें कई जानकारियां मिलीं। आइए, स्थापना दिवस (BHU Foundation Day) के इस खास अवसर पर इस विश्‍वविद्यालय के इतिहास पर एक नजर डालते हैं और जानते हैं कुछ ऐसे तथ्‍य जो शायद आप भी ना जानते हों।

BHU Foundation Day : पढ़िए, बनारस हिन्‍दू यूनिवर्सिटी से जुड़े रोचक तथ्य

ये कोई सामान्‍य विश्‍वविद्यालय नहीं है, इसकी स्‍थापना के पीछे भारत की सनातन सहिष्‍णु संस्‍कृति, नैतिकता, धार्मिक मर्यादायें, जीवन के मौलिक अनुशासन, कार्य के प्रति निष्‍ठा, दान-भिक्षा जैसे विराट भाव, विश्‍व भाईचारा, सभी को सुखी, सभी को निरामय रखने का उद्देश्‍य निहित है।

सर्वप्रथम प्रयाग (इलाहाबाद) की सड़कों पर अपने अभिन्‍न मित्र बाबू गंगा प्रसाद वर्मा और सुंदरलाल के साथ घूमते हुए मालवीय जी ने हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय की रूपरेखा पर विचार किया था।

नवंबर 1905 में महामना मदन मोहन मालवीय ने हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय निर्माण के लिए अपना घर त्‍याग दिया।

दिसम्‍बर 1905 ई. में वाराणसी में कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अधिवेशन का आयोजन किया गया। ठीक एक जनवरी 1906 ई. को कांग्रेस अधिवेशन के मंच से ही काशी में हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना की घोषणा की गई।

पं. मदन मोहन मालीवय ने 15 जुलाई 1911 को हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय के लिए एक करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्‍य रखा था।

बीएचयू पूरी दुनिया में अकेला ऐसा विश्‍वविद्यालय है जिसका निर्माण भिक्षा मांगकर मिली राशि से किया गया है।

सन् 1911 में ही मालवीय जी ने लाहौर और रावलपिंडी (वर्तमान पाकिस्‍तान) में भी भिक्षाटन किया।

मुजफ्फरनगर में भिक्षाटन के दौरान अजीब वाकया हुआ जब सड़क पर एक गरीब भिखारिन ने अपनी दिनभर की कमाई मालवीय जी को काशी में हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय निर्माण के लिए समर्पित कर दिया।

विश्‍वविद्यालय के नाम में ‘हिन्‍दू’ शब्‍द को लेकर भी मालवीय जी को कइयों से तिरस्‍कार भी झेलना पड़ा।

4 फरवरी 1916 ई के दिन बसंत पंचमी के पावन अवसर पर दोपहर 12 बजे काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय के शिलान्‍यास का कार्यक्रम शुरू हुआ।

काशी के संस्‍कृत विद्वानों ने हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय के निर्माण में कोई रुचि नहीं दिखाई थी।

सबसे पहले विश्‍वविद्यालय निर्माण के लिए वाराणसी के हरहुआ इलाके में भूमि उपलब्‍ध कराने का विचार महाराज प्रभुनारायण को आया था। बाद में इसे मालवीय जी ने खारिज कर दिया।

वाराणसी के दक्षिण में 1300 एकड़ भूमि (5.3किमी) को तत्‍कालीन काशीनरेश महाराज प्रभुनारायण सिंह ने महामना को विश्‍वविद्यालय निर्माण के लिए दान में दे दिया।

शिलान्‍यास के वर्ष 1916 ई. को गंगा में भयानक बाढ़ आई और विश्‍वविद्यालय की भूमि पूरी तरह से जलमग्‍न हो गई। पहले विश्‍वविद्यालय को गंगा के बिल्‍कुल किनारे बसाने का विचार था।

इसके बाद मां गंगा को प्रणाम करते हुए विश्‍वविद्यालय परिसर को गंगा नदी से थोड़ी दूर बसाने का निर्णय लिया गया।

कुल 12 गांवों को खाली कराकर काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना की गई है।

बिजनौर के धर्मनगरी निवासी राजा ज्‍वाला प्रसाद ने काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्याल का नक्‍शा तैयार किया तथा अपने दिशानिर्देश में ईमारतों को मूर्त रूप दिया।

विश्‍वविद्यालय को प्राप्‍त पूरी जमीन अर्द्धचंद्राकार है।

विश्‍वविद्यालय के अर्द्धचंद्राकार डिजाइन और इसके बीचो-बीच स्‍थित विश्‍वनाथ मंदिर को देखकर काशी नरेश डॉ विभूति नारायण सिंह ने इसे शिव का त्रिपुंड और बीच में स्‍थित शिव की तीसरी आंख बताया था।

60 से भी ज्‍यादा देशों के विद्यार्थी काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय के विभिन्‍न विभागों, संकायों और संस्‍थानों में पढ़ाई कर रहे हैं।

बनारस हिन्‍दू युनिवर्सिटी के निर्माण में अपना सबकुछ न्‍यौछावर करने वाले महामना मदन मोहन मालवीय जी को स्‍वतंत्रता के 67 वर्ष बाद देश के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान ‘भारत रत्‍न’ से सम्‍मानित किया गया।

देश-विदेश की ताजा खबरें पढ़ने और अपडेट रहने के लिए आप हमें Facebook Instagram Twitter YouTube पर फॉलो व सब्सक्राइब करें

Join Our WhatsApp Group For Latest & Trending News & Interesting Facts

spot_img
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

spot_img

Recent Comments

Ankita Yadav on Kavya Rang : गजल