हिंदी दिवस 2023 : आज हमारे देश में सभी लोग ज्यादातर विदेशी वस्तुओं का प्रयोग करते है और देशी वस्तुओं का उपयोग करने में हिचकते है। और अब वस्तुओ के साथ-साथ अपनी भाषा का भी अंत कर रहे है। हिंद देश की भाषा हिंदी है लेकिन फिर भी लोग अंग्रेजी पर जोर दिए हुए है जिसे देखो वो अंग्रेजी में ही बात करने की कोशिश करता है जैसे हिंदी बोलने में शर्म आ रही हो या हिंदी बोलने से उनकी नाक कट जाएगी। आज लोग इस देश में हिंदी की महत्ता को समझ नहीं रहे है। हिंदी ही हमारे हिंद देश की पहचान है।
“हिन्दू है हम वतन है हिंद.. हिन्दुस्ता हमारा…
जब तक है जान हम लगाते रहेंगे ये नारा”
आज भारत देश में अनेकों क्षेत्रीय भाषाएं बोली जाती है, लेकिन फिर भी हिंदी भाषा सभी भाषाओं की जननी है। हिंदी बोलने वालों की आज संख्या बहुत कम होते जा रही है यह बहुत ही शर्म की बात है, जो हिंद देश में रह कर अपनी भाषा का प्रयोग भी नहीं कर पा रहे है।
यह कहावत आप ने भी सुनी होगी “अंग्रेज चले गए लेकिन अपनी अंग्रेजी छोड़ गए” ये कहावत मुझे अब सच्ची प्रतीत होता दिखाई दे रहा है। जिस तरीके से भारत के लोग हिंदी में अपनी रुचि कम ले रहे है उस कारण आने वाले दिनों में तो हिंदी का नामो निशान ही खत्म हो जायेगा।हमें इस पर गंभीरता से सोचना होगा और अपने देश की भाषा को बनाये रखने के लिए कुछ कदम उठाने पड़ेंगे। मैं जब लोगों को अंग्रेजी बोलते सुनता हूँ तो यही सोचता हूँ की कम से कम यहाँ के लोग आपस में हिंदी में ही वार्तालाप करें। मैं यह नहीं कहता की आप अंग्रेजी न बोले.. इस भाषा को बोले वहाँ जहा इनकी जरूरत समझ में आये।
मुझे लगता है अब आप लोगों को इससे ज्यादा कहने की जरूरत नहीं होगी आप लोग खुद एक समझदार और पढ़े-लिखे व्यक्ति हो और आप मेरी बातों को अच्छी तरह से समझ रहे होंगे। आज हमारे देश में इंग्लिश स्कूलों में भी ज्यादातर विषय अंग्रेजी में ही पढाये जाते है यह एक अच्छी बात है लेकिन हिंदी को पहले स्थान पर रखना होगा क्योकि हिंदी जानना हमारे लिए बहुत जरूरी है। आज के माता-पिता अपने बच्चो का दाखिला अंग्रेजी स्कूलों में करवा रहे है ताकि उनके बच्चो का भविष्य उज्जवल हो सके लेकिन ऐसे बच्चे अगर हिंदी की जानकारी अपने देश में रह कर ना रखे तो ऐसे ज्ञान का क्या लाभ ??
“अभी कुछ दिनों पहले मैं एक किताब लेने एक किताब की दुकान पर गया था तभी वहां एक लड़का आया जो की इंग्लिश स्कूल में क्लास १० में पढता था। उसने दुकानदार से एक किताब मांगी तो दुकानदार ने उसे वह किताब दिया और लड़के ने किताब का मूल्य पूछा तो दुकानदार ने उस किताब का मूल्य जो की एक सौ पैतालीस (१४५) रुपये था उसने उससे मांगा लड़का समझ नहीं पाया फिर उसने पूछा कितना हुआ?? दुकानदार ने फिर बोला एक सौ पैतालीस (१४५) रुपये। लड़के को फिर नहीं समझ आया तो आखिरकार लड़के ने पूछ ही दिया अंकल १४५ कितना हुआ ??… तो दुकानदार ने कहा वन हंडरेड फोट्टी फाइव (145) फिर लड़के ने रुपये दिए और चला गया और तब तक मैं सब समझ गया था” ऐसी घटना आप लोगों ने भी कभी न कभी देंखी ही होगी।
अगर ऐसा ही रहा तो हमारे देश में हिंदी का विनाश हो जायेगा और हमारी आने वाली अगली पीढ़ी हिंदी से वंचित रह जायेगी। इसलिए हमे अपने हिंदी भाषा को बनाये रखने के लिए कुछ न कुछ सभी को मिलकर कदम बढ़ाने होंगे तब जाकर हम अपनी भाषा को सुरक्षित कर सकते है। हम बच्चो के माता-पिता और स्कूलों से यही विनती करते है कि कम से कम बच्चो को अपनी भाषा कि ज्ञान का अनुभव करायें। और हो सके तो बच्चो को घर में उनके माता-पिता उन्हें हिंदी कि बारीकियां बतलाये जिससे जाकर हमारे आगे कि पीढ़ी को हिंदी कि जानकारी मिल सके।
बहुत ही बढ़िया लिखा है राहुल जी आपने और ये बिलकुल सही बात कही है इसपर सभी को अवश्य विचार करना चाहिये l