Monday, May 20, 2024
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Sawan 2023 : छोटा काशी के नाम से प्रसिद्ध है यह शिव मंदिर, लाख प्रयास के बाद भी शिवलिंग को नष्ट नहीं कर पाया था औरंगजेब

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Sawan 2023 : वैसे तो भारत में शिव जी के कई मंदिर हैं, जो काफी प्रसिद्ध और चमत्कारी है। आज हम आपको महादेव के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताएंगे जो सैकड़ों साल पुराना है। कहा जाता है कि लाख प्रयासों के बावजूद भी औरंगजेब इस मंदिर की शिवलिंग नष्ट नहीं कर पाया था, यह चमत्कार देखकर मुगलों की फौज भाग खड़ी हुई थी। तो आइए जानते है कि ये मंदिर कहां है और इससे जुड़ी कहानी के बारे में…

यहां स्थित है मंदिर

दरअसल, हम जुस मंदिर की बात कर रहे है वो उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला के मल्लावां क्षेत्र में स्थित सुनासीर नाथ मंदिर (Sunasir Nath Temple) है। यहां भगवान शिव को सुनासीर नाथ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग की स्थापना इंद्रदेव ने की थी। ये मंदिर आज भी लोगों की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर को छोटा काशी भी कहते है।

छोटा काशी कहलाता है ये मंदिर

दो सौ साल पुराने सुनासीर नाथ शिव मंदिर के शिवलिंग पर औरंगजेब ने आरा चलवाया था जिसके निशान आज भी शिवलिंग पर मौजूद हैं साथ ही सुनासीर नाथ मंदिर से बर्बर लुटेरे ने 2 कुंटल सोने का कलश जमीन में लगी गिन्नीयाँ लूटी थी हरदोई के मल्लावां में स्थित यह छोटा काशी कहा जाने वाला मंदिर मुगलकालीन बर्बरता का गवाह है। हर साल महाशिवरात्रि और सावन के महीने (Month of Sawan) में यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती है।

औरंगजेब ने लूट लिया था यहां का सारा स्वर्ण

माना जाता है कि सुनासीर नाथ मंदिर मुगलकालीन बर्बरता का गवाह है। कहा जाता है कि पूर्व में इस मंदिर में सोने के कलश, दरवाजे और जमीन पर गिन्नियां जड़ी थीं, लेकिन 16वीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मंदिर का स्वर्ण लूटने के लिए आक्रमण कर दिया. लेकिन जब क्षेत्र के गौराखेड़ा के लोगों को औरंगजेब के आक्रमण की भनक लगी, तो वो उसका मुकाबला करने आ पहुंचे, हालांकि औरंगजेब की भारी सेना के सामने वो ज्यादा देर नहीं टिक सके और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद औरंगजेब और उसके सैनिकों ने मंदिर में लगे दो सोने के कलश, फर्श में जड़ी सोने की गिन्नियां और सोने के घंटे व दरवाजे सब लूट लिए. इतना ही नहीं उसने मंदिर को ध्वस्त करने का भी आदेश दे दिया और शिवलिंग पर आरी चलाकर उसे भी नष्ट करने का प्रयास किया. लेकिन वो इस शिवलिंग को नष्ट करने में असफल रहे।

चाहकर भी शिवलिंग को नहीं कर पाया नष्ट

मंदिर के महंत राम गोविंद बताते हैं कि उनके बुजुर्गों ने उन्हें बताया है कि जब औरंगजेब ने स्वर्ण और गिन्नियों को लूटने के बाद अपने सैनिकों को शिवलिंग को खोदकर उखाड़ फेंकने का आदेश दिया थां लेकिन जैसे ही सैनिकों ने शिवलिंग को उखाड़ने के लिए खुदाई शुरू की तो शिवलिंग की गहराई और उसका आकार बढ़ने लगा। सैनिकों को असफल होते देख उन्होंने आरी चलाकर शिवलिंग को काटने का आदेश दिया। कहा जाता है कि जैसे ही शिवलिंग को सैनिकों ने काटना शुरू किया तो शिवलिंग से दूध की धारा बहने लगी। इतना ही नहीं उस शिवलिंग से असंख्य बरैया निकलकर फौज पर हमलावर हो गईं. इन बरैयों ने पूरी फौज को खदेड़ दिया. तब बड़ी मुश्किल से किसी तरह फौज और औरंगजेब ने अपने प्राण बचाए थे।

आज भी शिवलिंग पर मौजूद हैं आरी के निशान

महंत के मुताबिक मुगलों की बर्बरता के निशान आज भी उस शिवलिंग पर मौजूद हैं. आप इस मंदिर की शिवलिंग पर आरे के निशान अब भी देख सकते हैं। सैकड़ों वर्षों से ये मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां आज भी देश विदेश से लोग आकर महादेव से मन्नत मांगते हैं। सावन के दिनों में यहां भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। सावन के सोमवार को यहां दूर दूर से भक्त भगवान का जलाभिषेक करने के लिए आते हैं।

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