Jimikand or Suran Vegetable : पूरे देश में प्रकाश के पर्व दीवाली (Diwali 2023 ) की धूम है, यह त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक जाना जाता है। इस दिन सभी भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की करते है, एक दूसरे को मिठाई देने की भी परंपरा है। वहीं इस दिन ज्यादातर लोगों के घरों में सूरन या जिमीकंद की सब्जी बनाने की परंपरा है। खासकर उत्तर प्रदेश में दीवाली के दिन अधिकतर घरों में सूरन की सब्जी अनिवार्य रूप से बनाई जाती है। कहा जाता है कि इस दिन सूरन खाना बहुत शुभ माना जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसके पीछे की असली वजह क्या है। आखिर क्यों इस दिन सूरन की सब्जी बनाने की प्रथा है। शायद आपको भी इसके पीछे की पूरी जानकारी नहीं होगी, तो चलिए आज आपको इस बारे में विस्तार से बताते है कि ऐसा क्यों होता है…
दीवाली पर सूरन बनाना है सदियों पुरानी प्रथा
वैसे तो आम दिनों में घरों में सूरन की सब्जी कम ही बनती होगी, लेकिन दिवाली के दिन ज्यादातर घरों में इसकी सब्जी जरुर बनती है। यह एक पुरानी प्रथा है जो सदियों से चली आ रही है, लेकिन इसके पीछे की वजह जानना बहुत ही जरुरी है। तो पहले जानते है कि ये परंपरा कहां से शुरु हुई।
कहां से शुरु हुई ये परंपरा?
ऐसा माना जाता है कि हिंदू धर्म में सूरन की सब्जी का चलन बनारस यानी काशी नगरी से शुरू हुआ। बनारस के हर घर में दिवाली के दिन सूरन सब्जी अनिवार्य रूप से बनाने की परंपरा है, सूरन ऐसी सब्जी है जो आलू के जैसे ही मिट्टी के नीचे उगती है। दिवाली के दिन इसकी सब्जी बनाने की प्रथा को घर की खुशहाली और प्रगति से जोड़कर देखा जाता है। इसका एक और बड़ा कारण ये है कि सूरन की पैदावार दिवाली के समय ही होती है।
हेल्थ के लिए सूरन है फायदेमंद
वहीं सूरन या जिमीकंद की सब्जी हमारे सेहत के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और बीटा केरोटीन काफी मात्रा में पाया जाता है जो शरीर के रोग प्रतिरोधक की क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा इसमें कई जरूरी विटामिन, कैलोरी, फैट, कार्ब्स, प्रोटीन और पोटेशियम समेत घुलनशील फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाए जाते है।
कैंसर जैसी घातक बीमारियों के खतरे को भी कम करता है
सूरन के इस्तेमाल से कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित होता है क्योंकि इसमें ग्लूकोज कम मात्रा में होता है।