वाराणसी। अस्सी घाट पर मानवता प्रेम सहिष्णुता का सन्देश देते हुए वैश्विक अभियान ‘ फ्री हग डे ‘ सार्वजनिक गले मिलने के कार्यक्रम आयोजित हुआ। बनारस क्वियर प्राइड समूह ने बनारस प्राइड के अंतर्गत होने वाले 6 कार्यक्रमों में से पहले कार्यक्रम की शुरूआत अस्सी घाट पर शुरू कर की। बनारस क्वियर प्राइड आयोजन से जुड़े एलजीबीटी समुदाय के लोग अस्सी घाट पर हुए इस अनूठे आयोजन में, मैं गे हूं, मैं लैसबियन हूं मैं बाई सेक्सुअल हूं, लिखें प्ले कार्ड अपने गले में लटकाए हुए थे।
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फ्री हग के लिए अपील करते हुए ये लोग एक सर्किल में अस्सी घाट पर खड़े थे और जो लोग इन संदेशों को पढ़ते हुए और उत्सुकता दिखाते हुए पास आ रहे थे उनसे गले लग कर प्रेम और भाईचारे के भाव को बढ़ावा दे रहे थे। इस कार्यक्रम के साथ एलजीबीटी समुदाय के प्रति समाज में बहिष्करण और अपराध बोध कम होगा ऐसा आयोजकर्ताओ का मानना है। असमानता, हिंसा, और गैरबराबरी को समाप्त करने के लिए ऐसे आयोजन बनारस में हमेशा होते रहना चाहिए ।
बनारस क्वियर प्राइड की संयोजक नीति ने बनारस प्राइड माह आयोजन के विषय में बताया। ये आयोजन महीने भर चलेगा और अगस्त प्रथम सप्ताह में एक प्राइड वॉक / मार्च के साथ हम इसका भव्य गौरवपूर्ण समापन होगा। इस आयोजन की पूरी बागडोर क्वीर समुदाय के साथियों ने ले रखी है।
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आयोजक रणधीर ने बताया की एक अध्ययन से पता चला है की फ्री हग यानी की गले मिलने का क्या शारीरिक मानसिक असर होता है। गले लगाने से कोर्टिसोल का स्तर कम हो जाता है, तनाव हार्मोन जो बदले में तनावपूर्ण स्थितियों में ब्लड प्रेशर और दिल गति को कम करता है। गले लगाने से भी रात को अच्छी नींद आती है। गले लगाने से दिमाग में ऑक्सीटोसिन या फील-गुड केमिकल का स्तर बढ़ जाता है जो हमें खुश, एक्टिव और शांत बनाता है। गले लगाने से दूसरे व्यक्ति से जुड़ना आसान हो जाता है।गले लगाने से पता चलता है कि हम सुरक्षित हैं, प्यार करते हैं, और अकेले नहीं हैं।
गले लगाने से दर्द का मुकाबला करके शरीर में तनाव कम होता है और ब्लड फ्लो में सुधार होता है जिससे तनावग्रस्त मांसपेशियों को आराम मिलता है। गले लगाने से नेचुरल किलर सेल्स, लिम्फोसाइट्स और दूसरे इम्यून बूस्टिंग सेल्स का स्तर बढ़ता है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत रखते हैं।
अबीर ने बताया कि फ्री हग्स अभियान एक सामाजिक आंदोलन है जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर अजनबियों को गले लगाते हैं। अपने वर्तमान स्वरूप में यह अभियान 2004 में एक ऑस्ट्रेलियाई व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया था जिसे “जुआन मान” से जाना जाता था। ऐसे ही अभियानों से प्रेरित होकर बनारस में भी इसका आयोजन बनारस प्राइड कार्यक्रम के अंतर्गत किया जा रहा है
आयोजन में प्रमुख रूप से शिवांगी, अनुज, रूद्र, शिवांग, दिव्यांक, परीक्षित, दिक्षा, उत्कर्ष, रोज़ी, इंदु, राजीव, सलमा, निहारिका, कार्तिक, मिलिंद, प्रियेश, शांतनु, नीरज, विवेक आदि मौजूद रहे।
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