वाराणसी। कस्तूरबा गांधी ‘बा’ के जयंती पर दख़ल संगठन ने उन्हें याद किया। साथ ही गांधी घाट (सुबह ए बनारस मंच अस्सी घाट के दक्षिण ओर) पर उनके जीवन संघर्ष के आलोक में स्त्री विमर्श के भारतीय संस्करण पर चर्चा की गई।
लैंगिक मसलों पर और नारीवादी चेतना से बनारस में काम करने वाले संगठन ‘ दखल ‘ की ओर से सार्वजनिक स्थानों पर महिला जागरूकता व अधिकारों के बारे में प्रत्येक सप्ताह में आयोजन के साथ साथ सदस्यता अभियान भी चलाया जाता है। इसी कड़ी में आज कस्तूरबा की जयंती के अवसर पर महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद कस्तूरबा को याद करते हुए चर्चा आयोजित की गयी।
कस्तूरबा गांधी बा को लोग अक्सर महात्मा गांधी से ही जोड़कर देखते है जबकि उनका अपना एक अस्तित्व था,अपना एक संघर्ष था जीवन के जिस उतार चढ़ाव को उन्होंने देखा लड़ी और खड़ी रही वो आज किसी भी अन्य महिला के लिए प्रेरणा दायक है।
गाँधी जैसी वैचारिक आंधी पर जिसने काबू पाया,वह हैं केवल कस्तूरबा बा। गांधी के बनने की साक्षी,उनके अन्तर्द्वन्द को देखने की साक्षी,उनकी गलतियों को बर्दाश्त करने वाली और अच्छाइयों पर रीझ जाने वाली काया का नाम है, कस्तूरबा गांधी। उन्ही कस्तूरबा का आज जन्मदिन है। आज ही के दिन, यानी 11 अप्रैल, 1869 में उनका जन्म हुआ।
कस्तूरबा गांधी का राजनीतिक जीवन 1904 में शुरू हुआ, जब उन्होंने शुरुआत में अपने पति महात्मा गांधी के साथ दक्षिण अफ्रीका में डरबन के पास फीनिक्स बस्ती स्थापित करने में मदद की। बच्चों को पालना,उनके दर्द को सहना,उनकी पढ़ाई और उन्नति की फिक्र साथ ही गांधी की अनिश्चित ज़िन्दगी से तालमेल बैठाना और आज़ादी की लड़ाई भी लड़ना,जेल जाना और साथियों की फिक्र भी करना,जैसे गांधी बनना असम्भव है, ठीक वैसे ही आज कस्तूरबा बन पाना भी असम्भव ही है ।
ब्रिटिशों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ बैरिस्टर मोहनदास करमचंद गांधी महात्मा गांधी बने। देश के लिए इन्होंने इतने त्याग और संघर्ष किया, देशवासियों ने इन्हें भगवान का दर्जा दिया। ये सब महात्मा गांधी अकेले कभी नहीं कर पाते उनका इन सब में साथ उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी ने दिया था। कस्तूरबा गांधी ढाल बन कर बापू के लिए खड़ी रही। कस्तूरबा गांधी भी गांधी जी की तरह स्वतंत्रता सेनानी थी। उन्होंने बापू के साथ सारे दुख सुख बाटें। ऐसा कहा जाता हैं कि कस्तूरबा गांधी को पहले निमोनिया हुआ उससे वो ठीक हो गई थी लेकिन फिर उन्हें दो बार उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद 22 फरवरी 1944 को देहांत हो गया। कस्तूरबा गांधी की जब मृत्यु हुआ तब वह 74 साल की थी।
आज के कार्य्रकम में मुख्य रूप से नीति,शालिनी, रैनी, नन्दिनी,धन्नजय,राजेश,शिवम, नवीन, इन्दु शामिल रहे।