वाराणसी। जिला सत्र न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने विवाहिता को दहेज के लिए जिंदा जलाकर मार डालने के एक बड़े मामले में सख्त सजा सुनाई है। इस कांड में शामिल रहे मृतका के पति सुभाष राजभर और उसके मौसेरे भाई शम्भू को दहेज हत्या व प्रताड़ना के आरोप में सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाने के साथ ही दोनों पर अर्थदण्ड भी लगाया है।
इसके अलावा दो अन्य धाराओं में भी सजा मुकर्रर की गई है। कोर्ट में इस निर्णय से पहले अभियोजन की तरफ से विद्वान जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी आलोक चन्द्र शुक्ला ने इस गंभीर अपराध के दोनों मुजरिमों को सजा दिलाने के लिए घटनाक्रम से जुड़े कई महत्वपूर्ण साक्ष्य व अपने मजबूत तर्क पेश किए। इस दौरान डीजीसी क्रिमिनल के साथ एक अन्य अधिवक्ता रंजय सिंह ने भी अदालत में इस मामले में अपनी दलीलें पेश कीं।

अभियोजन के मुताबिक यह घटना साल 2014 में 26 जुलाई को हुई थी। जिसके बाद जंसा थाना क्षेत्र की रहने वाली मृत विवाहिता सीता देवी की पीड़ित मां जानकी देवी पत्नी स्व. मुन्ना राजभर ने थानाध्यक्ष रोहनिया को घटना से रिलेटेड एक तहरीर दी थी, जिसमें पुलिस को बताया था कि छह साल पूर्व उसने अपनी पुत्री सीता देवी की शादी वाराणसी जिले के चौबेपुर स्थित रमना ग्राम के सुबाष राजभर पुत्र स्व.होरीलाल राजभर के साथ की थी।
विवाह में लड़के पक्ष को दहेज के रूप में 50,000 रुपए नगद, सोने की अंगूठी, घड़ी, बर्तन आदि सहित कुल एक लाख रुपए का सामान दिया था। विदाई के बाद उसकी लड़की जब ससुराल पहुंची, तभी से उसका दामाद सुबाष राजभर वादिनी की बेटी सीता को कम दहेज लाने का उलाहना देते हुए उसे ताना मारते हुए मायके से बाइक और सोने की चेन लाने का दबाव बनाने लगा। असमर्थता जताने पर दामाद बेटी को मारने पीटने के साथ ही उसे शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगा। इस साजिश मे दामाद का मौसेरा भाई शम्भू पुत्र स्व.कल्लू राजभर व उसकी पत्नी भी शामिल रही।
इसकी जानकारी होने पर वादिनी की मां ने अपने सगे-संबंधियों से अपनी गरीबी का हवाला देते हुए मदद की गुहार लगाई लेकिन बात नहीं बनी। इस दौरान उसकी पुत्री सीता दो पुत्रियों व एक पुत्र की मां भी बन चुकी थी। इसके बाद भी दहेज प्रताड़ना की शिकार होती रही। इससे परेशान होकर वादिनी की मां अपनी पुत्री को विदा कराकर घर ले गई। इसके एक माह बाद मौसेरे भाई शम्भू ने मध्यस्थता कर दहेज के लिए कभी भी न मारने की शर्त पर पुत्री सीता की विदाई कराकर उसे बंगालीपुर राजातालाब अपने घर ले आया। इस बीच 26 जुलाई 2014 को बेटी सीता के शरीर पर केरोसिन छिड़ककर उसे जलाकर मार डाले।
इस तहरीर पर रोहनिया थाने में दामाद सुबाष, मौसेरे भाई शम्भू व उसकी पत्नी के खिलाफ धारा 489 ए, 304बी व धारा 3/4 दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। जिसके बाद इस केस की विवेचना आईओ मुकेश चंद्र उत्तम व सीओ सदर ने प्रारंभ की। इस दौरान संबंधित कोर्ट में घटना को लेकर वादिनी जानकी देवी व गवाहों के बयानात लिए गए। मृतका के पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अवलोकन के बाद अपराध की इस घटना को अत्यंत गंभीर प्रवृत्ति का कारित बताया गया।
कोर्ट में इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की तरफ से अभियुक्तों के अधिवक्ता को सुनने के साथ ही अभियोजन की ओर से जिला सरकारी अधिवक्ता फौजदारी आलोक चन्द्र शुक्ला ने इस कांड के अभियुक्तों को सजा दिलाने के लिए अपनी ओर से कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, उन्होंने घटना से संबंधित कई महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रस्तुत करने के साथ ही बचाव पक्ष की दलीलों के विरोध में अपने मजबूत तर्क प्रस्तुत किए। उन्होंने ऐसी घटनाओं पर दंड के परिमाण को लेकर भी अपने पक्ष रखे। इस दौरान उनके साथ सीनियर लायर बनारसी सिंह के पुत्र व अधिवक्ता रंजय सिंह भी रहे।
इन्होंने भी बचाव पक्ष के वकील के तर्कों के काट में अपने महत्वपूर्ण दलीलों को कोर्ट के सामने रखा। अभियोजन के द्वारा इन तमाम साक्ष्यों व विक्टिम के पक्ष में दिए गए बयानों के आधार पर कोर्ट ने अपना यह फैसला सुनाया, जिसमें अभियुक्त सुबाष राजभर व शम्भू राजभर को धारा 304बी में सात-सात साल के कठोर कारावास की सजा के अलावा धारा 4 में दो-दो वर्ष व दो-दो हजार रुपए के अर्थदण्ड के साथ ही धारा 489ए में तीन-तीन साल की कैद मुकर्रर की।
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