वाराणसाी। काशी के गौरवशाली इतिहास के साथ ही यहां के जीआई क्राफ्ट की पूरी दुनिया में धूम है और आने वाले समय मे महिला शिल्पी अपना परचम लहराने को तैयार है। साथ ही सिडबी का पूरा सहयोग काशी, भदोही और पूर्वांचल के बुनकरों, शिल्पियों के साथ है। ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन ने सिडबी (SIDBI) के सहयोग से शुरु हुए महिला शिल्पी विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में सिडबी के चैयरमैन शिवसुब्रमण्यन रमन ने कहा कि आने वाला समय जीआई का है और आत्मनिर्भर भारत मे हम पूरी तरह से जीआई को ग्लोबल करेंगे। यहां के क्राफ्ट की बहुत महत्ता है और लाखों लोगों के कौशल से जुड़ा है।
बता दें कि कपसेठी चौराहे के समीप स्थित प्रशिक्षण केंद्र पर गत 4 दिसंबर को उद्घाटन समारोह में सिडबी के चैयरमैन शिवसुब्रमण्यन रमन का अभिनंदन पद्मश्री डॉ रजनी कांत ने सिडबी लोगो वाले जीआई जरदोजी से बने अंगवस्त्र से किया। साथ ही उन्हें सॉफ्ट स्टोन जाली क्राफ्ट हाथी को स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट किया।
समारोह को सिडबी के उत्तर प्रदेश स्टेट हेड और मुख्य महाप्रबंधक श्री सिन्हा ने संबोधित करते हुए कहा कि पूर्वांचल में शिल्पियों, बुनकरों के जीआई उत्पादो के लिए सिडबी बड़ा बाजार उपलब्ध कराने के साथ ही लड़कियों को हस्तशिल्प में भी पारंगत करने के लिए तैयार है।
कार्यक्रम का संचालन मोहम्मद जफर और धन्यवाद ज्ञापन जमालुदीन अंसारी ने दिया। गुलाफ़सा, असगरी,नुशरत जहाँ, शबीना, मोमिना, अफसाना, गुलनार, जहाँआरा, जीनत, सहित 50 से अधिक भदोही, वाराणसी, के ग्रामीण क्षेत्रों की महिला शिल्पयों ने भागीदारी किया और सिडबी का लोगो टफटेड कार्पेट विधि से बना कर प्रशिक्षण कार्यक्रम को शुरु किया गया।
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