वाराणसी। एसीजेएम एमपी/एमएलए कोर्ट उज्जवल उपाध्याय की अदालत ने दुष्कर्म पीड़िता व उसके गवाह को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में लंबी बहस के बाद बसपा सांसद अतुल राय का रिमांड बना दिया। अदालत की इस कार्यवाही के बाद आरोपी सांसद की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। रिमांड बनने के दौरान सांसद अतुल राय की नैनी जेल से वीसी के जरिए पेशी हो रही थी। अदालत ने पपत्रों के अवलोकन के बाद कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि हजरतगंज थाना, लखनऊ में पुलिस महानिदेशक द्वारा गठित टीम के जांच के बाद अमिताभ ठाकुर और अतुल राय (Atul Rai) के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
सीओ अमरेश सिंह बघेल के द्वारा ल॔का थाने में आरोपी अतुल राय के खिलाफ दर्ज मुकदमे में अविधिक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से अपूर्ण व निराधार अभिलेखों की रचना की गई है। ऐसे में दोनों प्रथम सूचना रिपोर्ट अलग-अलग संव्यवहार की दर्शित होती हैं, ऐसे में आरोपी सांसद अतुल राय का न्यायिक रिमांड आईपीसी की धारा 193, 218, 219, 306, 120 बी के तहत स्वीकृत किया जाता है।
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कोर्ट ने सुनवाई की अगली डेट 27 सितंबर मुकर्रर करते हुए आरोपी सांसद को वीसी के जरिए पेशी होने का आदेश दिया है। इसके पूर्व आरोपी के अधिवक्ता अनुज यादव ने आपत्ति में विशेष न्यायाधीश के रेप के मामले में बरी होने के निर्णय और लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज एफआईआर और आरोप पत्र को कोर्ट में पेश करते हुए कहा कि एक ही मामले में दो न्यायिक रिमांड नहीं बन सकता।
इस बाबत कानूनी दलीलें भी पेश कीं, जवाब में जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी आलोक चन्द्र शुक्ला और एपीओ ने कोर्ट में दलील दी कि ल॔का थाने और हजरतगंज थाने में दर्ज प्राथमिकी में अलग-अलग तथ्य हैं, ऐसे में न्यायिक रिमांड बनाया जाना न्याय संगत होगा। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी सांसद की तरफ से रिमांड रद्द करने सम्बन्धी दी गई आपत्ति को खारिज कर दिया।