Bihar : बिहार राज्य एड्स नियत्रण समिति NACO पटना की ओर से राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय नवादा, बिहार में छात्र छात्राओं के बीच एड्स व रक्तदान के संबंध में जागरूकता के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। साथ ही छात्र-छात्राओं को प्रतिवर्ष कम से कम एक बार रक्तदान करने की शपथ दिलायी गई।
छात्रों को दी गई एड्स रोग के लक्षण और बचाव की जानकारी
इस अवसर पर बतौर अतिथि नैको कॉर्डिनेटर राहुल कुमार उपस्थित थे। राहुल कुमार ने छात्रों को एड्स रोग के लक्षण और उससे बचाव की जानकारी दी। साथ-साथ यह भी बताया कि एचआईवी का कोई उपचार नहीं है, लेकिन एंटी- रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) कहलाने वाली दवाइयां जरूर उपलब्ध है। ये दवाइयां व्यक्ति की प्रतिरोधक प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को मजबूत रखने में सहायता करती है। इस तरह रोगी बीमारी से लड़ना जारी रख सकते है और एड्स की शुरूआत को टाल सकते है। एड्स रोग मुख्यत: असुरक्षित संभोग, संक्रमित खून के चढ़ाने से तथा एक ही सूई द्वारा नशे के इंजेक्शन लेने से व संक्रमित मां से बच्चे में आने से फैलता है।
उन्होंने आगे कहा, एड्स रोग छूने से, गले लगाने से, रोगी के कपडे़ पहनने से, रोगी की समस्त वस्तुएं इस्तेमाल करने से, संयुक्त शौचालय इस्तेमाल करने से, टेलीफोन प्रयोग करने से और मच्छर के काटने से नहीं फैलता है।
एड्स छुआछूत या मच्छर के कटने से नहीं फैलते
इसके बाद कॉलेज के प्राचार्य डॅा विनय कुमार चौधरी और नैको कॉर्डिनेटर राहुल कुमार ने छात्रों को सम्मानित किया। प्राचार्य डॅा विनय कुमार चौधरी ने छात्रों को बताया कि एड्स व ऐसे रक्त जनित रोग छुआछूत या मच्छर के कटने से नहीं फैलते। ऐसे कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य एचआईवी एड्स से प्रभावित लोगों के अधिकारों की रक्षा करना और उनके साथ हो रहे भेदभाव को दूर करना है। इसके साथ एड्स से संबंधित सूचना, शिक्षा और संचार कार्यक्रमों को बढ़ावा देना है।
कोई भी स्वास्थ व्यक्ति कर सकता है रक्तदान
कार्यक्रम के अंत में सहायक प्राध्यापक सह जन संपर्क पदाधिकारी शुभेन्दु अमित ने रक्तदान के बारे में छात्र छात्राओं के जानकारी देते हुए कहा कि रक्तदान में जाति धर्म नहीं देखा जाता है। कोई भी स्वास्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है और इसको लेकर डरना नही चाहिए। रक्तदान से लोगों की जान बचाई जाती है। जैसे- गर्भावस्था और प्रसव से संबंधित रक्तस्राव से पीड़ित महिलाएं, मलेरिया और कुपोषण के कारण एनीमिया से पीड़ित बच्चे, ट्रॉमा, आपात स्थिति, आपदाओं और दुर्घटनाओं के शिकार, और रक्त और बोन मैरो विकार से पीड़ित लोग, हीमोग्लोबिन के वंशानुगत विकार और प्रतिरक्षा-कमी की स्थिति में ब्लड की जरूरत पड़ती है।
बता दें कि कार्यशाला को दो भागो में आयोजित किया गया था। पहले क्विज प्रतियोगिता आोजित की गई, जिसमें छात्र छात्राओं के बीच समय सामायिक खेलकूद व एड्स रक्तदान और बिहार सम्बन्धित 40 प्रश्नों का प्रथम चरण हुआ। जिसमें टॉप 10 छात्रों का चयन हुआ। उसके बाद उन 10 छात्रों में द्वितीय चरण में मौखिक क्विज का आयोजन कराया गया, जिसमे रौनक कुमार ने पहला, जुही कुमारी ने दूसरा, हर्ष कुमार ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। कार्यशाला के द्वितीय भाग में छात्रों के बीच एड्स रक्तदान की महत्व के बारे में जानकारी दी गई , जिसका सफल संचालन नोडल पदाधिकारी सह सहायक प्राध्यापक सिकंदर प्रसाद ने सफलता पूर्वक किया।
कार्यक्रम का सफल संचालन नोडल पदाधिकारी सह सहायक प्राध्यापक सिकंदर प्रसाद ने सफलता पूर्वक किया। इस अवसर पर संस्थान के प्राध्यापक प्रो अंजली सिन्हा, प्रो शोएब शुफयान, प्रो मुकेश कुमार डॅा राजेश बैठा व प्राध्यापक लकी कुमार, शशि रंजन व अन्य मौजूद रहे।