Measles : कोरोना संकट के बाद अब दुनिया के चार करोड़ बच्चों पर खसरे का खतरा मडरा रहा है, इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक रिपोर्ट जारी कर अलर्ट किया है। इस रिपोर्ट में WHO और यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद से खसरा टीकाकरण में काफी गिरावट आई है, पिछले साल करीब 40 मिलियन (4 करोड़) बच्चों ने अपनी खसरे की डोज़ मिस कर दी। तकरीबन ढाई करोड़ बच्चों को खसरे के टीके की पहली डोज ही नहीं मिल पाई, जबकि डेढ़ करोड़ बच्चों को दूसरी डोज नहीं लग सकी।
Measles : भारत सरकार भी अलर्ट मोड पर
वहीं, एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में महाराष्ट्र में ही 1.74 लाख बच्चे ऐसे हैं जिन्हें खसरे का टीका नहीं लगा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे भारत में आगे आने वाली स्थिति क्या होगी। पर अब जिस तरह से खसरा के मामले बढ़ रहे हैं भारत सरकार अलर्ट हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव पी अशोक बाबू ने एक विशेषज्ञों की बैठक बुलाई जिसमें उन्होंने खसरे के टीकाकरण को लेकर कुछ खास सुझाव दिए हैं।
व्यापक तौर पर चले टीकाकरण अभियान
नीति आयोग की इस बैठक में एक्सपर्ट्स से वैक्सीनेशन को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें कही। एक्सपर्ट का कहना था कि सरकार को पहले तो व्यापक तौर टीकाकरण चलाना चाहिए और यह तय करना चाहिए कि कोई भी बच्चा खसरे के टीके (measles vaccine) बच ना रहे। साथ ही केंद्र ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी जाती है कि वे संवेदनशील क्षेत्रों में नौ महीने से पांच साल के सभी बच्चों को अतिरिक्त खुराक देने पर विचार करें। यह खुराक नौ-12 महीने में पहली खुराक और 16-24 महीने में दूसरी खुराक के प्राथमिक टीकाकरण कार्यक्रम के अतिरिक्त होगी।
10% से अधिक मामले वाले क्षेत्रों में टीकाकरण पर खास जोर
सरकार ने यह भी सुझाव दिया है कि एमआरसीवी (MRCV) की एक डोज छह महीने और नौ महीने से कम उम्र के सभी बच्चों को उन क्षेत्रों में दी जानी है, जहां खसरा के मामले 10% से ज्यादा हैं। MRCV की यह खुराक इस समूह को “प्रकोप प्रतिक्रिया टीकाकरण “(ORI) मोड में दी जा रही है, इसलिए इन बच्चों को प्राथमिक (नियमित) खसरा और रूबेला टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार MRCV की पहली और दूसरी खुराक से भी कवर किया जाना चाहिए।साथ ही सरकार ने साप्ताहिक आधार पर खसरे की स्थिति की समीक्षा करने, प्रतिक्रिया और गतिविधियों की योजना बनाने को कहा है।
मुंबई में लोगों के मन में खसरे का खौफ
बता दें कि महाराष्ट्र और विशेष तौर पर मुंबई में इन दिनों लोगों के मन में खसरे का डर बना हुआ है। मंगलवार को एक आठ साल के बच्चे की खसरे की बीमारी से मौत हो गई। महाराष्ट्र में अब तक 13 मौतें हो चुकी हैं, यहां बच्चों में खसरा संक्रमण के 200 से अधिक मामलों की पुष्टि की गई हैं और 3 हजार से ज्यादा संदिग्ध केस पाए गए है।
खसरा और रूबेला (Measles and rubella) से बच्चों की मौते और बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र ने राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। महाराष्ट्र के अलावा बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और केरल में भी मामले हैं। सरकार ने सतर्क किया है कि नवंबर से मार्च के बीच मामले बढ़ सकते हैं, इसलिए जहां बीमारी फैली है, वहां बच्चों में बुखार और रैश यानी लाल निशान होने पर सतर्क हों।
40 मिलियन बच्चे खसरा का टीका लेने से चूके
WHO और CDC ने एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा, “2021 में लगभग 40 मिलियन बच्च खसरे के टीके की डोज लेने से चूक गए हैं। दुनिया के सबसे संक्रामक रोगों में से लाखों बच्चे अब खसरे के प्रति अतिसंवेदनशील हैं। अधिकारियों ने कहा साल 2021 में दुनिया भर में लगभग 9 मिलियन बच्चे खसरे से संक्रमित हुए, जिसमें से 1.28 लाख की मौत हो गई।
दुनिया के हर क्षेत्र में खसरा बड़ा खतरा बनने वाला है
WHO और CDC ने कहा कि टीकाकरण में निरंतर गिरावट, कमजोर रोग निगरानी और COVID-19 के कारण प्रतिक्रिया योजनाओं में देरी और 20 से अधिक देशों में चल रहे प्रकोप का मतलब है कि “दुनिया के हर क्षेत्र में खसरा एक बड़ा खतरा बनने वाला है.” उल्लेखनीय है कि खसरे से होने वाली 95 प्रतिशत से अधिक मौतें विकासशील देशों में होती हैं, ज्यादातर अफ्रीका और एशिया में। खसरा का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, लेकिन इसके खिलाफ दो-खुराक वाला टीका गंभीर बीमारी और मृत्यु को रोकने में लगभग 97 प्रतिशत प्रभावी है।
खसरे का वायरस बेहद खतरनाक
बता दें कि खसरे का वायरस बेहद खतरनाक माना जाता है, वैक्सीनेशन से इस बीमारी को पूरी तरह कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन ये वायरस ना फैले, इसके लिए दुनिया की 95% आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज मिलना आवश्यक माना जाता है। असल में केवल 81% बच्चों को खसरे की पहली डोज मिली है और केवल 71% बच्चे ऐसे हैं जिन्हें दो डोज मिली है। वहीं 2008 के बाद इतना कम वैक्सीनेशन दर्ज हुआ है।
जानें खसरा क्या है?
खसरा रोग संक्रामक वायरस के कारण होने वाला एक संक्रमण रोग है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी आसानी से फैल सकता है। खसरा होने पर इसमें पूरे शरीर पर लाल चकत्ते उभर आते हैं। खसरा होने पर यह लाल दाने शरूआत में सिर पर होते हैं और फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैल जाते हैं। खसरा रोग को रूबेला (Rubeola) भी कहा जाता है।
खसरे के लक्षण क्या है?
- खसरे के संकेत और लक्षण वायरस के संपर्क में आने के लगभग 10 से 14 दिनों के बाद दिखाई देते हैं।
- सामान्य से तेज बुखार आना
- सूखी खाँसी होना
- लगातार नाक बहना
- गले में खरास बने रहना
- आँखों में सूजन आना (नेत्रश्लेष्मलाशोथ Conjunctivitis)
- गाल की अंदरूनी परत पर मुंह के अंदर पाए जाने वाले लाल रंग की पृष्ठभूमि पर नीले-सफेद केंद्रों वाले छोटे सफेद धब्बे – जिन्हें कोप्लिक स्पॉट भी कहा जाता है।
- बड़े, चपटे धब्बों से बना एक त्वचा लाल चकत्ते जो अक्सर एक दूसरे में प्रवाहित होते हैं।
जानें बचाव के उपाय
- खसरा रोग से बचने के लिए टीकाकरण जरूरी होता है।
- 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को खसरे का टीका लगाया जा सकता है।
- खसरा संक्रमित बच्चे को हाइड्रेटेड रखना जरूरी होता है।
- बैलेंस डाइट का भी ध्यान रखना पड़ता है।
- इसके लिए आप नारियल पानी, जूस आदि का सेवन कर सकते हैं।
- बॉडी में इलेक्ट्रोलाइट का बैलेंस होना जरूरी होता है।
- इसके लिए आप पानी में इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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