वाराणसी। सावन के पहले सोमवार को यादव बंधुओं ने 90 साल पुरानी परम्परा का निरर्हवन करते हुए बाबा काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। बाबा का जलाभिषेक करने के लिए काशी विश्वनाथ धाम के रास्ते से ही यादव बंधु ललिताघाट पहुंचे। वहां से जल लेकर वापस काशी विश्वनाथ धाम के रास्ते से बाहर निकले। 1932 से चली आ रही परंपरा के अनुसार इस बार भी यादव बंधुओं ने प्रशासन की अनुमति के बाद बाबा की पूजा अर्चना की। पीतल के ध्वज डमरु सहित यादव बंधुओं ने काशी विश्वनाथ मंदिर जाकर पूजा अर्चना की।
यादव बंधु मानमंदिर घाट से जल लेकर डेढ़सीपुल, साक्षी विनायक, ढुंढिराज गणेश, अन्नपूर्णा मंदिर होते हुए काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के बाद विश्वनाथ धाम से ललिता घाट गए। ललिता घाट से जल लेकर यदुवंशी समाज के लोग यात्रा के छठे पड़ाव महामृत्युंजय मंदिर की ओर रवाना हुए।
चंद्रवंशी गोपा सेवा समिति के अध्यक्ष ललाजी यादव ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी यादव बंधु रुदाभिषेक की परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। बाबा से यही कामना है कि हमारा देश और शक्तिशाली व मजबूत हो, देश का विकास हो। वहीं प्रशासन की व्यवस्था से नाराज दिखे यादव बंधुओं ने कहा कि गौरीकेदारेश्वर पर हमें आधा घंटा रोक दिया गया, इस कारण हम बाबा विश्वनाथ दरबार में आने में लेट हुए।
बता दें कि यदुवंशी समाज की वार्षिक कलश यात्रा केदार घाट के गौरी केदारेश्वर मंदिर, तिलाभांडेश्वर महादेश, दशाश्वमेध स्थित शीतला मंदिर, आह्नादेश्वर महादेव, काशी विश्वनाथ, महामृत्युंजय, त्रिलोचन महादेव, ओमकारेश्वर महादेव, लाट भैरव का जलाभिषेक करने की परंपरा है।