Saturday, April 19, 2025
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Nati Imli Bharat Milap : 14 वर्षों के वनवास के बाद भरत और श्रीराम का मिलाप देख नम हो गयीं श्रद्धालुओं की आंखें

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वाराणसी। चित्रकूट रामलीला समिति की 478 पुरानी रामलीला का विश्व प्रसिद्द BHARAT MILAP गुरुवार को सकुशल संपन्न हो गया। गोस्वामी तुलसीदास की प्रेरणा से इस लीला का मंचन उनके समकालीन मेघा भगत ने शुरू किया था। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जैसे ही शाम के 4 बजकर 40 मिनट हुए श्रीराम और लक्षमण भाई भरत और शत्रुघ्न से मिलने के लिए लीलास्थल दौड़ पड़े। भाइयों के इस मिलाप को देखकर लाखों की तादात में उमड़े जनसमुदाय की आंखे नम हो गयी और पूरा इलाका राजा रामचंद्र की जय के उद्घोष से गुंजायमान हो गया।

काशी नरेश ने की शिरकत

इसके पहले लीला स्थल पर पहुंचे महाराज कुंवर अनंत नारायण सिंह गजानन पर सवार होकर मेला स्थल पहुंचे और देव स्वरूपों को दर्शन दिया। इसके बाद उन्होंने देव स्वरूपों को सोने की गिन्नी भेंट स्वरुप प्रदान की और वहीँ रूककर लीला को देखा और वहां से रवाना हो गए।

14 वर्ष के वनवास बाद श्रीराम पहुंचे नाटी इमली मैदान

चित्रकूट की रामलीला में परंपरा अनुसार आश्विन शुक्ल एकादशी को भरत मिलाप का आयोजन हुआ। 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम दशानन का वध करने के बाद अयोध्या की ओर लौटते हैं। पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ पुष्पक विमान पर सवार होकर मर्यादा पुरुषोत्तम शनिवार को दोपहर बाद पौने चार बजे नाटी इमली स्थित भरत मिलाप मैदान पर पहुंचे।

भरत के प्रण की श्रीराम ने रखी लाज

भगवान् हनुमान ने प्रभु के आने की सूचना अयोध्या में भरत और शत्रुघन को दे दी। सूचना मिलते ही दोनों अनुज राम लीला मैदान बड़ा गणेश से नंगे पांव दौड़ते हुए नाटी इमली के भरत मिलाप मैदान पर पहुंचे। वहां पहुंचने के बाद भगवान को देख दोनों भाई साष्टांग करते हैं। भरत के प्रण के अनुसार अगर सूर्यास्त से पहले श्रीराम नहीं मिले तो मैं प्राण त्याग दूंगा। इसको देखते हुए भगवान भी सूर्यास्त से पहले अपने अनुज से मिलने के लिए पहुंच जाते हैं।

यादव बंधुओं ने उठाया पुष्पक विमान

एक ओर लीला हो रही थी पीछे मंच पर मानस मंडल के प्रेमी चौपाइयों का पाठ कर रहे थे। आयोजकों द्वारा रामदरबार की आरती उतारी गई। इसके बाद 478 साल की परंपरा के अनुसार यदुवंशियों ने पुष्पक विमान को कंधे पर उठाया और अयोध्या के लिए रवाना हो गया।

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