वाराणसी। लोहता थाना क्षेत्र में सन् 2022 में परवेज नामक युवक की घर से धोखे से बुलाकर गला काटकर हत्या कर दी गई थी। घटना के बाद कातिलों ने शव को दुर्घटना का प्रयास दिखाने की कोशिश की थी। इसी मामले में नामजद अभियुक्त शहजादे की जमानत के लिए शुक्रवार को प्रभारी सत्र न्यायाधीश की अदालत में प्रार्थनापत्र दाखिल किया गया था। जिस पर दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने के के बाद कोर्ट ने अभियुक्त को जमानत देने का पर्याप्त आधार नहीं माना और अंततः अर्जी को खारिज कर दिया।
सुनवाई के दौरान अभियोजन के विद्वान जिला सरकारी अधिवक्ता फौजदारी आलोक चन्द्र शुक्ला ने कोर्ट को बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक परवेज के शरीर पर मृत्यु से पूर्व चोट के तीन गंभीर निशान दर्शाए गए हैं और डेथ आफ कॅाज इन चोटों के कारण ही होना बताया गया है। इस दलील के बाद कोर्ट ने यह कदम उठाया।
वर्ष 2022, 18 जुलाई को लोहता थाने में पीड़ित पक्ष की तरफ से तहरीर दी गई थी, जिसमें पुलिस को बताया गया था कि घटना से एक दिन पहले 17 जुलाई को शाम में परवेज अपने घर में परिवार के लोगों के साथ बैठा था। इसी बीच उसके मोबाइल पर एक फोन आया तो उसने अपने अम्मी को बताया कि शहजादे और ताहिर उसे रेलवे क्रासिंग के पास बुला रहे हैं यह कहकर चला गया। परवेज की अम्मी के अनुसार क्रासिंग के पास उसका दूसरा लड़का और दामाद निजाम पुत्र स्व.अब्दुल वसीत निवासी महहरिया लोहता थे।
वहीं पर परवेज शहजादे और ताहिर से मिले थे, साथ में समोसा, चाट भी खाए। इसके बाद शाहजादे और ताहिर उसके लड़के परवेज को पकड़कर क्रासिंग के दक्षिण लेन बनारस की तरफ ले गए। वादी के लड़के परवेज और ताहिर से पूर्व में किसी लड़की से बात करने को लेकर विवाद हुआ था। यहां ले आने के बाद शहजादे व ताहिर गन्दहवा नाले के पास मौजा चन्दापुर रेल पटरी के पास परवेज की गला काटकर हत्या कर दिए और उसके शव को रेल पटरी पर दिखाकर दुर्घटना का प्रयास दिखाने की कोशिश किए।
तहरीर में बताया गया कि उसके लड़के परवेज ने आत्महत्या नहीं की थी, शहजादे और ताहिर ने मिलकर उसकी इस तरह से हत्या कर दी थी। उसके लड़के के पास टेक्नो कंपनी का एक मोबाइल सेट जिसका नंबर 7007151032 था, इसके अलावा उसके पास मजदूरी का दो हजार रुपए और आधार कार्ड भी था, परवेज की हत्या की घटना को अंजाम देने के बाद दोनों हत्यारे ये सब भी लूट लिए।
कोर्ट में जमानत प्रार्थनापत्र पर सुनवाई के दौरान अभियुक्त के बचाव में उसके अधिवक्ता की तरफ से कई तर्क पेश किए गए। जिसके बाद अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी आलोक चन्द्र शुक्ला ने जमानत अर्जी का जोरदार विरोध करते हुए अदालत को बताया कि परवेज के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु से पूर्व उसके शरीर पर गंभीर चोट के तीन निशान तथा सिर, गर्दन व हाथ की कलाई पर कुचले हुए जख्म दर्शाए गए हैं।
इसके साथ ही विवेचक द्वारा अपनी विवेचना में अभियुक्त और सह अभियुक्त के विरूद्ध परवेज की हत्या के बाद उसके साक्ष्य को मिटाने का गंभीर आरोप है। डीजीसी क्रिमिनल के इस मजबूत तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने इस घटना के आरोपी शहजादे को जमानत देने से इंकार कर दिया।