Dev Deepawali : अयोध्या में दीवाली पर भव्य दीपोत्सव के बाद अब धर्म व अध्यात्म की नगरी काशी में भव्य तरीके से देव दीपावली मनाई जाएगी। वैसे तो काशी में हर वर्ष देव दीपावली (Dev Deepawali) की भव्यता देखने को मिलती है, लेकिन इस बार की देव दीपावली कई मायनों में खास मानी जा रही है, क्योंकि काशी में बाबा विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) का लोकार्पण होने के बाद वाराणसी में पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में देव दीपावली पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया गया है। इस बार देव दीपावली पर कई तरह के आयोजन किए जा रहे हैं, जिसे देख श्रद्धालुओं को एक सुखद अनुभूति होगी, तो चलिए एक नजर डालते है इस देव दीपावली बाबा नगरी में क्या-क्या खास होने वाला है।
काशी में उत्सव की तरह मनाई जाती है देव दीपावली
इस साल Dev Deepawali का पर्व 7 नवंबर को पड़ रहा है। काशी में इस पर्व को उत्सव की तरह मनाया जाता है, इस दिन सभी 84 गंगा घाट, गली मोहल्ले और शहर दीए की रोशनी से जगमग हो उठते हैं। कहा जाता है कि इस दिन स्वर्गलोक से देवता स्वयं पृथ्वी लोक पर आकर दीपदान करते है। काशी के देव दीपावली की भव्यता देखने देश-विदेश से लाखों पर्यटक आते है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी इस खास अवसर पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। चलिए जानते है इनके बारे में…
Dev Deepawali : चेत सिंह घाट पर होगा 3डी प्रोजेक्शन मैपिंग शो
इस बार काशी के घाटों पर जहां एक ओर लगभग 10 लाख दीप जलाएं जाएंगे, तो वहीं दूसरी ओर चेत सिंह घाट पर 3डी प्रोजेक्शन मैपिंग के जरिए धर्म का व्याख्यान होगा, जो 12 मिनट का होगा व शिव भजनों पर लेजर लाइट एंड साउंड का शो 8 मिनट का होगा, इसके जरिए काशी आने वाले पर्यटक मां गंगा के पृथ्वी अवतरण व देव दीपावली की कथा सुन सकेंगे।
गंगा पार रेती पर फायर क्रैकर्स शो
इसके अलवा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के सामने गंगा पार रेती पर पर्यटकों को कोरियोग्राफ फायर क्रैकर्स शो (Fire Cracker Show) देखने का भी आनंद मिलेगा। ये फायर क्रैकर शो आतिशबाजी का बिल्कुल नया कंसेप्ट है। ये एक खास ज्योमेट्रिकल फॉम में होगी। यह शो शाम 7 बजकर 40 मिनट से शुरु होगा।
80 लाख फूलों से सजाया जा रहा बाबा दरबार
बता दें कि पर्यटन विभाग की निगरानी में होने वाले इन आयोजनों की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है। मुख्यमंत्री की मंशा है कि देव दीपावली पर वाराणसी आने वाले श्रद्धालु काशी विश्वनाथ धाम की अलौकिक छटा के साक्षी बनें, इसके लिए पूरे धाम परिसर को लोकार्पण की तर्ज पर सजाने संवारने का निर्देश दिया गया है। इसी कड़ी में काशी विश्वनाथ कॅारिडोर को दिव्य और अलौकिक रूप देने के लिए 80 लाख रूपए के फूलों से सजाया जा रहा है।
जानिए देव दीपावली मनाने के पीछे की मान्यता?
मान्यता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवता देवलोक से काशी के घाटों पर आते हैं। कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध के बाद सभी देवी-देवताओं ने मिलकर खुशी मनाई थी। काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन दीपदान करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि भगवान शंकर ने खुद देवताओं के साथ गंगा के घाट पर दिवाली मनाई थी, इसीलिए देव दीपावली का धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बढ़ जाता है।
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