Varanasi : काशी तमिल संगमम के अन्तर्गत काशी विद्वत परिषद के द्वारा आयोजित संगोष्ठी रविवार को काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर आडिटोरियम त्रयंम्बक हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें बतौर मुख्यातिथि भारत सरकार के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि काशी और तमिल के मंदिरों की देन कि आज भी हिन्दू समाज अपने संस्कारों के साथ कनेक्ट है। हमारे मंदिरों का योगदान समाज को जोड़ना है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसलिए इस तरह की योजना बनाई है हम सब एक होकर राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा दे, मंदिर हमारी परम्पराओं की पहचान है।
इस दौरान विदेश मंत्री ने काशी विद्वत परिषद की परम्परा को सराहा। विशिष्ट वक्ता के रुप में काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि आज का जो विषय रखा गया है कि समाज व राष्ट्र के निर्माण में मन्दिरों का योगदान यह विषय ही अपने आप उत्तर दें रहा है कि मंदिरों का योगदान समाज के संस्कारों और हिन्दू धर्म सभ्यता संस्कृति को सुरक्षित रखकर हमारे पूर्वजों ने ऋषियों ने इन मंदिरों को प्रयोगशाला के रुप में उपयोग किया।

उन्होंने आगे कहा समाज के प्रत्येक क्षेत्र के लोगों को मंदिरों ने जोड़ा जब कभी कोई संकट राष्ट्र के सामने आया तो इन्हीं मंदिरों के प्रतिनिधियों ने उसको दूर किया। जिसके अनेकानेक उदाहरण हमारे सामने है समरसता के प्रतीक है। मंदिर राष्ट्रीय चेतना के संवाद है। प्रो द्विवेदी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की देन है कि आज हमारे मंदिरों को संवारने का काम हो रहा है।
श्री एम नाचियप्पन तमिलनाडु के विशिष्ट वक्ता ने कहा कि तमिलनाडु के मंदिरों में आज भी हिन्दू धर्म सुरक्षित है और तमिल की जनता मोदी को धन्यवाद देती है भारत में मंदिरों ने समाज को जोड़ने का काम किया है। काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष पद्मभूषण प्रो वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि काशी तमिल संगमम् एक नया विश्वास समाज में खड़ा किया है हमारे मंदिरों का योगदान राष्ट्र और समाज को एक साथ जोड़ कर सभी वर्गों के कल्याण के लिए अनुदान योजनाऐं देते हैं।
श्री पी चेल्लापांडियन् ने भी मंदिरों के अवदान तथा समाज को जोड़ने की परम्परा पर विचार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो कृष्णकांत शर्मा ने किया धन्यवाद ज्ञापन मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने दिया। विशिष्ट रूप से काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य पं दीपक मालवीय पं रमण घनपाठी तथा काशी विद्वत परिषद के अन्तरराष्ट्रीय संयोजक रमण त्रिपाठी डॅा शुकदेव त्रिपाठी, डॅा कमलेश, डॅा संजीव कुमार राय, पद्मश्री चम्मबूकृष्ण शास्त्री प्रदीप शुक्ला सहित अनेक विद्वानों और तमिल समाज के लोगों की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम आरंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। अतिथियों का स्वागत पुष्पों की वर्षा और शहनाई वादक शंखनाद डमरु वादन से किया गया