वाराणसी। चौक थाना क्षेत्र स्थित बेनियाबाग इलाके में दस साल पहले सरेराह चार लोगों की घेरकर लाठी-डंडे से पीटकर की गई नृशंस हत्या के मामले में जिला सत्र न्यायाधीश की अदालत ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस बहुचर्चित हत्याकांड में तीन आरोपियों को फांसी व एक महिला को आजीवन कारावास के साथ ही उस पर 75 हजार रुपए का अर्थदण्ड लगाया गया है।
इस राशि का आधा हिस्सा वादी को क्षतिपूर्ति के रूप में देने का आदेश दिया गया है। वहीं एक अन्य आरोपी इकबाल राइन पर दोष साबित नहीं होने पर उसे बरी कर दिया गया है। अदालत में अभियोजन पक्ष से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी आलोक चन्द्र शुक्ला तथा वादी की तरफ से अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह ने अपने अपने मजबूत तर्क प्रस्तुत किए।
कोर्ट में इस केस में कुल 11 गवाहों का बयान कराया गया। ‘डीजेसी क्रिमिनल आलोक चन्द्र शुक्ला ने प्रस्तुत किए मजबूत तर्क’ कोर्ट में अभियोजन की ओर से पेश हुए डीजेसी (क्रिमिनल) आलोक चन्द्र शुक्ला के अनुसार 16 जून 2012 को चेतगंज के सरायगोवर्धन निवासी सईद उर्फ काजू ने चौक थाने में एफआईआर लाॅज कराया था, जिसमें उसने पुलिस को बताया था कि वह अपने भाई मोहम्मद शफीक उर्फ राजू, मो.शकील उर्फ जाऊ, भतीजे चांद रहीमी और शालू के साथ मजार से वापस घर की तरफ जा रहा था।
इसी बीच अमजद, उसकी पत्नी शकीला, बेटी शबनम, इकबाल राइन, अरशद व रमजान ने उन्हें कब्रिस्तान के पास घेर लिया और उन पर बेतहाशा लाठी-डंडे से वार करने लगे। शोर सुनकर मजार की साफ-सफाई करने वाला कामिल और उसका भतीजा बीच-बचाव करने पहुंचे तो हमलावरों ने उन्हें भी नहीं बख्शा और इन दोनों को भी पीटकर लहूलुहान कर दिया। इससे गंभीर रूप से जख्मी शफीक व कामिल की मौके पर ही मौत हो गई। अन्य घायलों को हास्पिटल में एडमिट कराया गया था। जहां शकील उर्फ जाऊ ने भी दम तोड़ दिया।
इसके बाद बुरी तरह घायल भतीजे चांद रहीमी की भी कुछ दिनों बाद मौत हो गई थी। इसी मामले में कोर्ट का ये फैसला आया है। घटना की मेन वजह कब्रिस्तान की जमीन से सटे आरोपी अमजद के मकान को लेकर पड़ोसी से विवाद होना बताया गया था। वहीं आरोपी इकबाल राइन के बरी किए जाने पर डीजेसी क्रिमिनल ने कहा कि इसे सजा दिलाने के लिए ऊपरी अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल किया जाएगा।