Sunday, December 15, 2024
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Pav Bhaji : अमेरिका की Civil war से भारत की ‘पावभाजी’ का है स्पेशल कनेक्शन, जानिए बॅाम्बे कॅाटन एक्सचेंज की ये दिलचस्प कहानी

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Pav Bhaji : पावभाजी का नाम सुनते ही हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है, तुंरत मक्खन से बनी स्वादिष्ट पाव और भाजी के स्वाद की याद आ जाती है। हर कोई इसे बड़े चाव से खाता है। यूं तो पावभाजी (Pav Bhaji) देश के हर कोने में मिलती है, लेकिन मुंबई (Mumbai) की पावभाजी के स्वाद की बात सबसे अलग है। ये पावभाजी अमेरिका सिविल वार से जुड़े एक किस्से की याद दिलाती है, अब आप सोच रहें होंगे कि भारत की पावभाजी का इससे क्या कनेक्शन। तो फिर चलिए आपको बताते है इस रोचक कहानी के बारे में और जानते है कि ये पावभाजी कैसे अस्तित्व में आई और इसका नाम पावभाजी कैसे पड़ा।

इस जगह पहली बार बनाई गई पाव भाजी?

बता है सन् 1860 की जब अमेरिका में सिविल वार (America Civil War) का ऐलान हुआ था, जिसके कारण कपास (रुई) की मांग वहां बहुत बढ़ गई थी। उस दौरान, भारत ही एक ऐसा देश था जो कपास बनाने और सप्लाई करने का काम करता था। इस बढ़ी डिमांड को देखते हुए भारत में बॉम्बे कॉटन एक्सचेंज (Bombay Cotton Exchange) के कर्मचारियों को रात भर जागकर कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी, क्योंकि कपास की नई दरें अमेरिका से टेलीग्राम के जरिए रात में ही आया करती थीं।

भूख मिटाने के लिए मजदूरों ने निकाली ये तरकीब

उस दौरान कर्मचारियों का वर्क लोड इतना ज्यादा बढ़ गया कि उनके पास खाना खाने तक का समय नहीं हुआ करता था। वो देर रात थके हारे घर पहुंचते थे पर उन्हें ठीक ढंग से खाना भी नसीब नहीं हो पाता था। अब काम के बाद खाना न मिल पाने के कारण मजदूरों को काम के दौरान ही पेट भरने की एक तरकीब सूझी और उन्होंने स्टॉल लगाने वालों से बात की और तय किया कि बची-कुची सब्जियों से एक भाजी सभी मजदूरों के लिए तैयार की जाए।

इसके बाद कुछ लोग इसके साथ तैयार गर्मागर्म पाव भी खाने लगे और स्टॉल लगाने वालों ने कुछ मसालों के साथ भाजी को और स्वादिष्ट बनाने की कोशिश की, जिसके लिए उन्होंने इसमें मक्खन को एड किया जिसके बाद इसका स्वाद और बढ़ गया। अब पाव को भी वो मक्खन में ही सेककर मजदूरों की भूख मिटाने के लिए देने लगे।

पाव भाजी इस तरह बना मुंबई का फेमस स्ट्रीट फूड

जैसा कि आप सभी जानते है कि भाजी बची हुई सब्जियों के साथ टमाटर और आलू को मैश करके बनाई जाती है। पहले बॉम्बे कॉटन एक्सचेंज मिल के बाहर ही स्टॉल वाले खड़े होकर काम करने वालों के लिए इसे तैयार करते थे। धीरे-धीरे इन मिल्स की संख्या बढ़ती गई और वे पूरे मुंबई में फैलने लगीं। इसी तरह पाव भाजी भी इन मिल्स के साथ मुंबई के हर इलाके में मिलने लगी और पाव भाजी न केवल मुंबई की फेवरेट स्ट्रीट फूड बनी, बल्कि यह मजदूरों का साथी भी बनी। जो देर रात उनकी भूख मिटाने का काम करती थी।

कैसे पड़ा पाव भाजी का नाम?

पाव भाजी बहुत जल्दी ही भारत के शहरों में भी फेमस हो गई, जिसके बाद इसके नाम पर तरह-तरह की बातें भी होने लगी थीं। कुछ लोगों का कहना था कि मराठी भाषा में पाव का मतलब एक चौथाई होता है और पाव भाजी में रोटी को चौथाई टुकड़ों में परोसा जाता है, इसलिए इसका नाम पाव भाजी पड़ा।

वहीं किसी ने तर्क दिया कि पाव नाम ‘पाओ’ से आया। यह पुर्तगाली शब्द है जिसका अर्थ भी रोटी ही है और कहा जाता है कि यह पुर्तगाली थे जिन्होंने मुंबई में रोटी की शुरुआत की थी, इसलिए पाव उन्हीं से मिला और फिर पाव भाजी बन गया।

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