Sunday, December 15, 2024
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History Of Panipuri : जिन गोलगप्पों के नाम से ही मुंह में आ जाता है पानी, ‘महाभारत’ काल से जुड़ी है उसकी दिलचस्प कहानी

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History Of Panipuri : गोलगप्पे का नाम सुनते ही हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है, तुरंत पानी और आलू से भरी पानीपुरी (Panipuri) का स्वाद याद आ जाता है। हर कोई इस बड़े ही चाव से खाता है। यह एक फेमस स्ट्रीट फूड है, आपको हर एक गली-नुक्कड़ पर एक गोलगप्पे का स्टॅाल जरुर दिखाई देगा। कहीं इसे पानीपुरी और गुपचुप तो कहीं इसे पुचका के नाम से जाना जाता है। देश ही नहीं बल्कि विदेश के लोग भी भारत में गोलगप्पों का स्वाद जरूर चखते हैं, लेकिन क्या आप जानते है कि गोलगप्पों का कनेक्शन महाभारत और मगध से जुड़ा हुआ है। शायद आपसे कम लोग ही होंगे जो गोलगप्पे के पीछे के इस दिलचस्प इतिहास के बारे में जानते हो, चलिए आज आपको गोलगप्पों (History Of Panipuri) से जुड़ी रोचक कहानी बताते है, साथ ही बताएंगे कि कब और कैसे इसे बनाने की शुरुआत हुई…

जानें पहली बार किसने बनाए थे गोलगप्पे

पौराणिक कथा के अनुसार, जब द्रौपदी पांडवों से शादी कर घर आईं, तो उन्हें उनकी सास कुंती परखना चाहती थी कि वो घर-गृहस्थी संभालने में कितनी कुशल है। पांडव चूंकि वनवास में थे, तो इसलिए उनके पास कम ही संसाधन थे और उन्हें उसी के सहारे गुजर-बसर करना था। तो कुंती ने द्रौपदी की परीक्षा लेने के लिए एक काम करने को कहा और उन्हें कुछ बची हुई सब्जियां और एक पूरी बनाने के लिए थोड़ा गेहूं का आटा दिया और बोली कि वह कुछ ऐसा बनाएं, जो उनके सभी पुत्रों की पेट भी भर जाएं और स्वाद भी आ जाए।

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इसके बाद द्रौपदी ने ऐसा कुछ बनाने का सोचा और तब उन्होंने आटे की पूरी बनाई और उसमें आलू और तीखा पानी भरकर पांचों पांडवों के सामने परोसा। गोलगप्पे खाकर पांडव खुश हो गए, उन्हें यह व्यंजन काफी पसंद भी आया और उनका पेट भी भर गया। इससे कुंती भी काफी खुश हुई और उन्हें आशीर्वाद दिया। माना जाता है यहीं से गोलगप्पे बनाने की शुरुआत हुई औ इसे बनाने का आइडिया मिला।

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मगध से भी है गोलगप्पे का ये कनेक्शन

वहीं दूसरी ओर ऐसा भी माना जाता है कि ‘फुल्की’, जो गोलगप्पों का दूसरा नाम है, उनका कनेक्शन मगध से भी है, पहली बार इसे वहीं बनाया गया था। हालांकि उस समय इसका नाम क्या हुआ करता था इसकी कोई जानकारी नहीं है, लेकिन कई जगहों पर इसके प्राचीन नाम फुल्की का जिक्र जरुर मिलता है। दावा यही किया जाता है कि इसे मगध में बनाया गया था। अगर इतिहास के पन्नों को पलटें तो देखा जा सकता है कि गोलगप्पे की दो महत्वपूर्ण सामग्री आलू और मिर्च, दोनों 300-400 साल पहले भारत आ गए थे, तो शायद यह भी सच हो। इसी कारण बिहार में इसे फुलकी कहा जाता है और आलू का चटपटा मसाला बनाकर उसमें भरकर खाया जाता है।

अलग-अलग जगह इन नामों से जाना जाता है गोलगप्पा

वैसे बता दें कि गोलगप्पे को भारत के विभिन्न क्षेत्रों के आधार पर अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है। हरियाणा में इसे ‘पानी पताशी’, मध्य प्रदेश में ‘फुलकी’, उत्तर प्रदेश में ‘पानी के बताशे’ या ‘पड़के’; असम में ‘फुस्का’ या ‘पुस्का’, ओडिशा के कुछ हिस्सों में ‘गुप-चुप’ और बिहार, नेपाल, झारखंड, बंगाल और छत्तीसगढ़ में ‘फुचका’ नाम से जाना जाता है।

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