Rahul Gandhi Disqualified : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता और वायनाड से सांसद रहे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की संसदीय सदस्यता रद्द कर दी गई है। शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए इस बात की जानकारी दी। सचिवालय ने घोषणा की कि साल 2019 में मानहानि के मामले में गुजरात की सूरत कोर्ट के दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाए जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब संसद के सदस्य नहीं रहे। बता दें कि राहुल गांधी से पहले भी कई बड़े दिग्गज नेताओं की संसद सदस्यता रद्द की जा चुकी है। ऐसे में अब कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ऐसा कैसे हुआ और देश में किसी सांसद की सदस्यता को खत्म करने के लिए क्या कानून हैं? तो चलिए आपको इस आर्टिकल के माध्यम से पूरी बात समझाते हैं कि किसी सांसद की सदस्यता कब-कब रद्द हो सकती है।
कब-कब रद्द हो सकती है किसी सांसद की सदस्यता
दरअसल, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(1) और (2) के तहत प्रावधान है, अगर कोई सांसद या विधायक हत्या, दुष्कर्म, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर शत्रुता पैदा करता है या किसी आतंकवादी गतिविधि या संविधान को अपमानित करने जैसे आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होता है तो संसद और विधानसभा से उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी।
इसके अलावा इसी अधिनियम की धारा 8(3) में प्रावधान है कि ऊपर बताए गए अपराधों के अलावा भी अगर किसी अपराध में विधायक या सांसद को दोषी ठहराया गया और उसे 2 वर्ष से अधिक की सजा सुनाई गई तो इस संबंध में विधायक या सांसद की सदस्यता रद्द हो सकती है। इसके साथ ही उसके 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लगा दिया जा सकता है, लेकिन, अगर सजा निचली अदालत से मिली है और ऊपरी अदालत से सजा पर रोक लगा दी जाती है तो सांसद या विधायक की सदस्यता नहीं जाएगी।
राहुल गांधी से पहले इन दिग्गज नेताओं की भी खत्म हो चुकी है सदस्यता, आइए जानते है उनके बारे में भी….
पहला : 1951 में एचजी मुद्गल की संसद सदस्यता खत्म की गई
आजादी के बाद अस्थाई संसद के सदस्य कांग्रेस नेता एचजी मुद्गल पर 1951 में संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे लेने का आरोप लगा था। उस वक्त प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मामले की जांच के लिए संसद में एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव पारित कराया। कमेटी ने मुद्गल को दोषी पाया और उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई। हालांकि, संसद में प्रस्ताव आने से पहले ही मुद्गल ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद भी प्रस्ताव लाया गया था।
दूसरा : 1976 में संसद को बदनाम करने के आरोप में सुब्रमण्यम स्वामी की सदस्यता खत्म की गई
साल 1976 में आपातकाल के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी जन संघ के नेता थे और राज्यसभा सांसद थे। उस वक्त स्वामी पर देश-विरोधी प्रोपेगैंडा में शामिल होने और संसद और देश के महत्वपूर्ण संस्थानों को बदनाम करने के आरोप लगा। इसके बाद संसद में 10 सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई। जांच के बाद कमेटी ने 15 नवंबर 1976 को स्वामी को दोषी बताते हुए राज्यसभा से निष्कासित कर दिया था।
तीसरा : 1978 में इंदिरा गांधी की सदस्यता खत्म करने के साथ जेल भी भेजा था
साल 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का आरोप लगाया गया था। उन पर काम में बाधा डालने, कुछ अधिकारियों को धमकाने, शोषण करने और झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप था। इसके बाद संसद में साधारण प्रस्ताव के जरिए 20 दिसंबर 1978 को उनकी संसद सदस्यता खत्म कर दी गई थी। साथ ही सत्र चलने तक जेल भेजने का आदेश दिया गया था। हालांकि एक महीने बाद लोकसभा ने उनका निष्कासन वापस ले लिया था।
चौथा : 2005 में सवाल पूछने के लिए पैसे लेने पर 11 सांसदों की सदस्यता खत्म की गई
दिसंबर 2005 में एजजी मुद्गल जैसा मामला दोबारा सामने आया। एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में कई पार्टियों के 11 सांसद संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे लेते नजर आए। इसमें 10 लोकसभा और 1 राज्यसभा सांसद थे। सांसदों के काम को भ्रष्ट और अनैतिक बताया गया। लोकसभा ने कांग्रेस सांसद पवन कुमार बंसल के नेतृत्व में 5 सदस्यीय विशेष कमेटी बनाई। कमेटी में बीजेपी के वी के मल्होत्रा, सपा के राम गोपाल यादव, सीपीआई-एम के मोहम्मद सलीम और डीएमके सी कुप्पुसामी शामिल थे। राज्यसभा में जांच सदन की एथिक्स कमेटी ने की।
इसके बाद कमेटी ने लोकसभा में 38 पेज की रिपोर्ट पेश की। इसमें सांसदों को दोषी पाया गया। इसके बाद संसद में एक प्रस्ताव के जरिए इन 11 सांसदों की सदस्यता खत्म कर दी गई।
राहुल गांधी की सदस्यता किसने रद्द की
बहुत से लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर राहुल गांधी की सदस्यता किसने रद्द की… कोर्ट ने, संसद ने या फिर चुनाव आयोग ने। तो आपको बता दें ये काम लोकसभा का है। आज लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी करके यह जानकारी दी की राहुल गांधी अब संसद के सदस्य नहीं हैं. इस अधिसूचना में बताया गया कि केरल की वायनाड लोकसभा सीट के सांसद राहुल गांधी को सज़ा सुनाए जाने के दिन यानी 23 मार्च, 2023 से उन्हें अयोग्य करार दिया जाता है. ऐसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किया गया है।
बता दें, कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को राहुल गांधी ने चुनावी रैली के दौरान कहा था – इन सब चोरों के नाम मोदी कैसे है- नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी। उनके इसी बयान पर फैसला सुनाते हुए सूरत कोर्ट ने 23 मार्च 2023 को उन्हें दोषी ठहराते हुए 2 साल की सजा सुनाई है। हालांकी राहुल को सजा सुनाने के तुरंत बाद कोर्ट से बेल भी मिल गई थी।
जानें राहुल गांधी के पास अब क्या विकल्प है
फिलहाल राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता निचली अदालत के फैसले की वजह से गई है। इसका यह कतई मतलब नहीं है कि राहुल गांधी की सदस्यता वापस नहीं हो सकती। कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी अब गुजरात हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर जा सकते हैं। अगर हाईकोर्ट में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा गया तो राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और अगर सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को रद्द कर दिया तो राहुल गांधी फिर से संसद के सदस्य माने जाएंगे।
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