Maharashtra Politics : जहां एक ओर सभी विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2024 चुनाव में शिकस्त देने के लिए एकजुट हो रहे है, तो वहीं दूसरी ओर मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अजित पवार (Ajit Pawar) ने बड़ा गेम कर दिया। उन्होंने समर्थक विधायकों के साथ महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल होकर सबको हैरान कर दिया। अजित ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। उनकी इस चाल से विपक्षी एकता को बड़ा झटका लगा है। इसके साथ ही शरद पवार (Sharad Pawar) की पार्टी में एक बड़ी टूट देखने को मिली है, 4 साल पहले भी साल 2019 में भी कुछ विधायकों को साथ लेकर अजित पवार ने अपनी ही पार्टी से विद्रोह कर दिया था, हालांकि बाद में अजित पवार ने घर वापसी कर ली थी और वो विद्रोह टल गया था। आइए एक नजर डालते है उस घटनाक्रम पर
Maharashtra Politics : क्या थी पूरा घटना?
साल 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपने सहयोगी दल भाजपा के साथ संबंध तोड़ लिए थे। बाद में, राजभवन में एक समारोह में फडणवीस और अजित पवार ने क्रमश: मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन उनकी सरकार केवल 80 घंटे तक चली थी. इसके बाद ठाकरे ने एमवीए सरकार बनाने के लिए राकांपा और कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया था। पिछले साल जून में, शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह के कारण शिवसेना (Shiv Sena) में विभाजन हो गया था और एमवीए सरकार गिर गई थी, जिसके बाद शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे।
NCP में टूट के पीछे का कारण ?
सूत्रों के अनुसार कि पटना में हाल में हुई विपक्षी दल की बैठक में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले की मौजूदगी से अजित पवार और उनके समर्थकों में नाराजगी थी जिसके बाद पार्टी में एक बड़ी टूट हुई है।
वहीं यह राजनीतिक घटनाक्रम शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना (तब अविभाजित) के खिलाफ विद्रोह के एक साल बाद सामने हुआ है, जिसके कारण महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी।
बता दें कि एनसीपी में करीब एक साल से सबकुछ ठीक नहीं है। खुल कर तो नहीं, लेकिन शरद पवार के पीठ पीछे अजित पवार कई बार पार्टी लाइन से अलग रुख अपनाते हुए बीजेपी के समर्थन की बात कर चुके हैं। वहीं ईडी, सीबीआई समेत कई अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों की नोटिस के बाद पार्टी के अन्य नेता भी बीजेपी शिवसेना के गठबंधन वाली सरकार को समर्थन का मुद्दा उठाते रहे हैं, हालांकि पिछले दिनों शरद पवार ने सन्यास लेने की घोषणा कर सबकुछ ठीक करने की कोशिश की थी, लेकिन वह कोशिश खुद उन्हें ही उल्टी पड़ गई है. इसमें विपक्षी एकजुटता की कवायद ने आग में घी का काम किया है
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